इतिहास के पन्नों से : 12 अगस्त 1991, जब सूर्यसिंह बेसरा ने चलते सदन में झारखंड के लिए त्यागपत्र दे दिया।  

जमशेदपुर

झारखंड के लिए सैकड़ों आंदोलनकारियों की अपनी अपनी भूमिका रही, लेकिन विधानसभा से मोह त्याग कर सदन से बाहर निकलने की हिम्मत किसी नेता में नहीं दिखी, ना तब और ना अब। ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के संस्थापक महासचिव सूर्यसिंह बेसरा ने महज एक वर्ष में ही विधायिका को लात मार दी, जब बिहार विधानसभा में ‘झारखंड क्षेत्र विकास परिषद् विधेयक’ पर चर्चा चल रही थी। सूर्यसिंह बेसरा ने इस विधेयक पर आपत्ति जतायी और सदन में अपने जोरदार भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तिफा देकर चलते बनें। उस वक्त बिहार विधानसभा में मौजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा के 19 विधायकों ने विधेयक का समर्थन किया था। उस विधेयक पर चर्चा के दौरान ही तात्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने कहा था- “झारखंड मेरी लाश पर बनेगा”। 1990 को सम्पन्न विधानसभा चुनाव में आजसू के 3 विधायक जीतकर बिहार और ओड़िशा विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने झारखंड पिपुल्स पार्टी के बैनर पर चुनाव लड़े थे, क्योंकि आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन) के बैनर तले चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया गया था। बाद के दिनों में आजसू के नेता मंगलसिंह बोबोंगा और देवेन्द्रनाथ चांपिया भी बिहार विधानसभा में जीतकर पहुंचे, लेकिन बाद के चुनाव में सूर्यसिंह बेसरा को कोई सफलता नहीं मिली।  1971 में छोटानागपुर विकास प्राधिकार और 1974 में संताल परगना विकास प्राधिकार का गठन किया गया था, 1991 में दोनों को मिलाकर झारखंड क्षेत्र विकास परिषद् का गठन किया गया था।

 

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