रांची
घर से जब निकले तो आंखों में यही उम्मीद थी कि दो वक्त की रोटी कमा सकेंगे। बाल-बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा सकेंगे और तंगहाली से परिवार दूर रहेगा, पर अब स्थिति यह है कि दोनों वक्त खुद का भी पेट भरना मुश्किल हो रहा है।और तो और, जान बचाने के लिए मारे-मारे फिर रहे! यह व्यथा है मलेशिया में फंसे झारखंड के मजदूरों की है, जिन्होंने रोजी-रोटी की तलाश में देश की सरहद लांघी थी। मजदूर अब पराए मुल्क में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे। इधर, उनके स्वजन टकटकी लगाए बैठे हैं कि सरकार हस्तक्षेप करे तो उनके अपनों की घर वापसी हो सके। प्रवासी मजदूरों के हित में काम करने वाले सिकन्दर अली ने भारत सरकार एवं झारखंड सरकार से मजदूरों की मदद करने की अपील की. बोकारो और हजारीबाग के 41 मजदूर विगत ढाई महिने से मलेशिया में फंसे है. भारतीय दूतावास ने उन्हें मजदूरी के पैसे और वतन वापसी का भरोसा दिया था, लेकिन एक माह से ये मजदूत दूतावास में बैठकर दिन गुजार रहे हैं.
वीडियो शेयर कर सरकार से वतन वापसी की लगाई गुहार