कर्नाटक में कोप्पल की जिला अदालत (Koppal District Court) ने दलितों की झोपड़ियों को आग के हवाले करने के दोष में 101 लोगों को सजा सुनाई है। दलित समुदाय पर हिंसा और अत्याचार का यह मामला दस साल पुराना है। जिला अदालत ने इसी हफ्ते गुरुवार को मामले के आरोपियों को दोषी ठहराया था और आज सजा का ऐलान किया। अभियोजन पक्ष ने यह जानकारी दी है।
- दलित समुदाय पर हिंसा का मामला 10 साल पुराना
- एक साथ इतने लोगों को पहली बार सजा सुनाई
98 दोषियों को आजीवन कारावास
जिला न्यायाधीश चन्द्रशेखर सी (District Judge Chandrasekhar C) ने अदालत ने मामले के 101 दोषियों में से 98 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन्हें इसके साथ 5000-5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं अन्य तीन दोषियों को अदालत ने पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा इन्हें 2000-2000 रुपए जुर्माना देना होगा।
117 लोग ठहराए गए थे दोषी
गवर्नमेंट एडवोकोट अपर्णा बूंदी के मुताबिक मामले में 117 लोग दोषी ठहराए गए थे जिनमें से 16 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई है। आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सभी दोषी बल्लारी केंद्रीय कारागार में बंद हैं। बताया जा रहा है कि देश में जातीय हिंसा को सामूहिक रूप से अंजाम देने के आरोप में एक साथ इतने (101) लोगों को सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है। बता दें कि 28 अगस्त 2014 को गांव में मौजूद नाई की दुकानों व होटलों में दलितों को एंट्री देने से इनकार करने को लेकर आरोपियों व पीड़ितों के बीच झड़प हो गई थी।
मराकुंबी गांव में जला दिए थे दलितों के घर
झड़प के दौरान मामला बढ़ने पर आरोपियों ने गंगावती तालुक के मराकुंबी गांव में दलितों के घर जला दिए थे। वारदात के विरोध में राज्य में कई जगहों पर व्यापक प्रदर्शन हुआ था। हिंसा के चलते मरुकुम्बी गांव को 3 माह तक पुलिस की सख्त निगरानी में रखा गया था। साथ ही राज्य की दलित अधिकार समिति ने हिंसा के विरोध में मरुकुम्बी से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु तक मार्च भी निकाला था। वहीं गंगावती थाने का कई दिन तक घेराव करके रखा।