दिल्ली,
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की घोषणा कर दी गई है। बुधवार 18 दिसंबर को साहित्य अकादमी की ओर से फिलहाल 21 भाषाओं के साहित्याकारों के नामों की घोषणा की गई है. वंही बाडला, उर्दू और डोगरी में पुरस्कारों की घोषणा बाद में की जाएगी। महेश्वर सोरेन को संताली नाटक ‘सेचेद् सावंता रेन अंधा मनमी’ और प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल को ओड़िया निबंध ‘भूति भक्ति बिभूति’ के लिए यह अवार्ड मिलेगा। वंही हिंदी साहित्य के लिए यह पुरस्कार कवयित्री गगन गिल को दिया गया है। यह पुरस्कार 8 मार्च 2025 को दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में दिया जायेगा, जिसमें चुने गये लेखकों को ताम्रफलक, पुरस्कार की राशि एक लाख रूपये, श्रीफल और शॉल दिया जायेगा।
महेश्वर सोरेन का परिचय
मयूरभंज जिले के उदड़ा प्रखंड के जामोड़िया गांव निवासी 44 वर्षीय महेश्वर सोरेन को संताली नाटक ‘सेचेद् सावंता रेन अंधा मनमी’ के लिए चुना गया है। साहित्यकार महेश्वर सोरेन पेशे से फॉर्मेसी ऑफिसर हैं और वर्तमान में कटक, ओडिशा के जगन्नाथपुर स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित हैं। उन्होंने वर्ष 2009 में नौकरी ज्वाइन की थी। उनके पिता दिवंगत लालमोहन सोरेन एक साधारण किसान थे, जबकि माता दिवंगत बाल्ही सोरेन गृहिणी थीं. वे तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उनका एक पुत्र जीतलाल सोरेन है, जो तीसरी कक्षा में है। ‘सेचेद् सावंता रेन अंधा मनमी’ के अलावा उनकी पुस्तक सिकारिया (2015) और काराम बिनती (2022) का प्रकाशन हो चुका है। इसके अलावा काराम बिनती, सोहराय बिनती, जोमसिम बिनती पुस्तक जल्द ही प्रकाशित होने वाली है। इसके अलावा श्री सोरेन संताली फिल्म के निर्माता-निर्देशक भी हैं। महेश्वर सोरेन साहित्य लेखन के साथ-साथ संताली फिल्मों के कहानी भी लिखते हैं। उन्होंने संताली फिल्म दुलाड़ माया (2010) और धोरोम दोरबार (2012) बनायी है। दोनों ही फिल्में काफी चर्चित रही हैं। महेश्वर सोरेन की पत्नी निरूपमा हांसदा सोरेन भी कटक के ही एससीबी हॉस्पिटल में नर्सिंग ऑफिसर हैं।