बोकारो, 8 अक्टूबर 2025
झारखंड के बोकारो जिले में कुड़मी/कुरमी समाज की अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग के खिलाफ आदिवासी समुदाय ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। पिछले दिनों कुड़मी समाज द्वारा ‘रेल रोको’ और ‘छेंका’ कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से अपनी मांग मनवाने का प्रयास किया गया था, जिसके जवाब में आदिवासी समाज पूरी तरह एकजुट हो गया है। आज आदिवासी संगठनों ने जिले के नौ प्रखंडों से सैकड़ों लोग जुटकर आक्रोश रैली निकाली और डीसी कार्यालय को घेर लिया।
सुरक्षा कड़ी को तोड़कर आगे बढ़े प्रदर्शनकारी
रैली का आगाज बिरसा चौक से पारंपरिक हथियारों, सरना झंडों और आदिवासी संस्कृति के प्रतीकों के साथ किया गया। जुलूस में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए, जो अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते हुए डीसी ऑफिस पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए कार्यालय परिसर में प्रवेश कर लिया। इस दौरान सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया, लेकिन कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।
आदिवासी नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि उनके संवैधानिक अधिकारों पर कोई भी डाका डालने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज की ST मांग से आदिवासियों के हक छीने जाने का खतरा है, जो अस्वीकार्य है। नेताओं ने केंद्र सरकार को वोट बैंक की राजनीति के लिए इस मुद्दे को हवा देने का जिम्मेदार ठहराया।
ज्ञापन और मांगें
प्रदर्शन के दौरान आदिवासी प्रतिनिधिमंडल ने डीसी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
- कुड़मी समाज को ST सूची में शामिल न करने का विरोध।
- आदिवासियों के मौजूदा आरक्षण और अधिकारों की रक्षा।
- केंद्र सरकार द्वारा तत्काल हस्तक्षेप और स्पष्टीकरण।
नेताओं ने कहा, “अगर इसके बाद भी हमारी मांगों की अनदेखी की गई, तो आंदोलन और तेज होगा। हम अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।” यह प्रदर्शन न केवल बोकारो तक सीमित रहा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी #KudmiSTVirodh और #AdivasiEkta जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं।
नेताओं के बयान
अमित सोरेन, आदिवासी नेता: “कुड़मी ST मांग से हमारे भविष्य पर संकट है। केंद्र सरकार वोट के लालच में आदिवासियों के हक को दांव पर लगा रही है। हम चुप नहीं बैठेंगे।”आकाश टुडू, आदिवासी नेता: “हमारे पूर्वजों की लड़ाई को कमजोर करने की साजिश रुके। डीसी साहब ने ज्ञापन स्वीकार किया, लेकिन कार्रवाई होनी चाहिए।”डिफेंस किस्कू, आदिवासी नेता: “सरना धर्म और आदिवासी संस्कृति की रक्षा सर्वोपरि है। कोई भी बाहरी दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं। आंदोलन जारी रहेगा।”