पश्चिम बंगाल में महिलाओं के अपहरण मामलों में चिंताजनक वृद्धि: NCRB 2023 रिपोर्ट से खुलासा, देशभर में 88,605 मामले दर्ज; दिल्ली शहरों में शीर्ष पर

कोलकाता, 15 अक्टूबर 2025 
पश्चिम बंगाल में अपहरण की घटनाओं, खासकर महिलाओं के अपहरण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ‘क्राइम इन इंडिया 2023’ रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में महिलाओं के अपहरण और अपहरण के 6,544 मामले दर्ज किए गए, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि महिलाओं के अपहरण के मामले पुरुषों की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक हैं, जबकि उत्तर प्रदेश कुल अपहरण मामलों में शीर्ष पर बना हुआ है। हालांकि, कोलकाता में अपहरण की घटनाओं में मामूली कमी आई है, लेकिन दिल्ली अभी भी महानगरों में अपहरण दर के मामले में सबसे ऊपर बनी हुई है।
NCRB रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े: महिलाओं पर बढ़ते खतरे
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या बढ़कर 4,48,211 हो गई, जो 2022 के 4,45,256 मामलों से 0.7% अधिक है। इनमें अपहरण और अपहरण के मामले 88,605 दर्ज किए गए, जो कुल मामलों का 19.8% हैं। महिलाओं के अपहरण के मामलों में 1,08,971 महिलाएं और ट्रांसजेंडर व्यक्ति प्रभावित हुए, जबकि पुरुषों के मामले केवल लगभग 20,000 थे – यानी महिलाओं के मामले पुरुषों से करीब पांच गुना ज्यादा।
पश्चिम बंगाल में कुल महिलाओं के खिलाफ अपराध 34,691 दर्ज हुए, जिसमें अपहरण के 6,544 मामले प्रमुख हैं। इसमें 2,054 मामले ‘अन्य’ श्रेणी (जैसे धमकी या जबरन विवाह के लिए) के थे, जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक हैं। राज्य में विवाह के लिए महिलाओं के अपहरण के 905 मामले (515 वयस्कों और 390 नाबालिगों के) दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वृद्धि शहरीकरण, गरीबी और सामाजिक असमानता से जुड़ी है, लेकिन रिपोर्टिंग में सुधार से भी आंकड़े बढ़े हैं।
 
राज्यवार तुलना: उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर, पश्चिम बंगाल चौथे स्थान पर
कुल अपहरण और अपहरण के मामलों में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, जहां 2023 में 25,000 से अधिक मामले दर्ज हुए। इसके बाद महाराष्ट्र (18,000+), राजस्थान और पश्चिम बंगाल आते हैं। पश्चिम बंगाल में अपहरण दर प्रति लाख महिलाओं पर 71.8 है, जो राष्ट्रीय औसत (66.2) से ऊपर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 से 2023 में अपहरण मामलों में 5.6% की वृद्धि हुई, कुल 1,13,564 मामले।
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश
महिलाओं के अपहरण मामले (2023)
वृद्धि (%) 2022 से
उत्तर प्रदेश
25,000+
6.2%
महाराष्ट्र
18,000+
4.5%
राजस्थान
15,000+
5.1%
पश्चिम बंगाल
6,544
7.3%
दिल्ली (UT)
3,952
3.8%
 
शहरों में स्थिति: कोलकाता में कमी, लेकिन दिल्ली सबसे असुरक्षित
महानगरों में अपहरण दर के मामले में दिल्ली शीर्ष पर है, जहां 5,715 मामले दर्ज हुए – प्रति लाख आबादी पर 26% दर। यहां महिलाओं के अपहरण के 3,952 मामले थे, जो 2022 से मामूली कमी दर्शाते हैं। कोलकाता में अपहरण की घटनाओं में कमी आई है; 2023 में कुल 919 हिंसक अपराध (जिसमें अपहरण शामिल) दर्ज हुए, जो 2022 के 950 से कम हैं। फिर भी, कोलकाता महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सुरक्षित शहरों में गिना जाता है, जहां अपहरण दर अन्य महानगरों से कम (लगभग 498 मामले) है।
मुंबई (1,798 मामले) और बेंगलुरु (1,089) के बाद कोलकाता अपहरण के मामले में तीसरे स्थान पर है, लेकिन कुल महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दिल्ली (13,366 मामले) पहले, मुंबई दूसरे और कोलकाता छठे स्थान पर है। NCRB ने चेतावनी दी है कि 68% अपहृत व्यक्तियों को बरामद किया गया, लेकिन 66,268 अभी भी लापता हैं।
विशेषज्ञों की राय: सामाजिक जागरूकता और सख्त कानूनों की जरूरत
महिला अधिकार कार्यकर्ता रुचिरा गुप्ता ने कहा, “पश्चिम बंगाल में अपहरण के मामले सामाजिक-आर्थिक असमानता का परिणाम हैं। NCRB डेटा केवल दर्ज मामलों को दर्शाता है; वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है। सरकार को FRA (फॉरेस्ट राइट्स एक्ट) जैसे कानूनों के साथ महिलाओं की सुरक्षा पर फोकस करना चाहिए।” NCRB ने चार्जशीटिंग दर 77.6% बताई, लेकिन अदालतों में 90.8% लंबित मामले हैं, जो न्याय विलंब को उजागर करता है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि वह ‘मिशन बसंती’ जैसी पहल से महिलाओं की सुरक्षा मजबूत कर रही है, लेकिन विपक्ष ने आंकड़ों को ‘शर्मनाक’ बताते हुए विशेष सत्र की मांग की है। यह रिपोर्ट महिलाओं की सुरक्षा पर तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *