रांची/नई दिल्ली, 2 अक्टूबर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक टाइपिंग मिस्टेक के कारण झारखंड सरकार के खिलाफ जारी फटकार को गलती से उत्तराखंड पर केंद्रित कर दिया, जिससे वन्यजीव संरक्षण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में हलचल मच गई। मामला झारखंड के विवादास्पद सारंडा जंगल को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने से जुड़ा है, जहां कोर्ट ने राज्य सरकार की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। हालांकि, दस्तावेजों में हुई एक साधारण टाइपिंग त्रुटि ने उत्तराखंड को अनजाने में निशाने पर ला खड़ा किया।
घटना का विवरण
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला शामिल थे, ने 17 सितंबर 2025 को झारखंड सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने राज्य को सारंडा वन्यजीव अभयारण्य (लगभग 57,519.41 हेक्टेयर) और ससांगदाबुरु संरक्षण रिजर्व (13,603.806 हेक्टेयर) को औपचारिक रूप से अधिसूचित करने का निर्देश दिया था। लेकिन अगले सुनवाई के दस्तावेजों में राज्य का नाम “झारखंड” की जगह “उत्तराखंड” टाइप हो गया, जिससे कोर्ट ने गलती से उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को 8 अक्टूबर को पेश होने का समन जारी कर दिया।
यह त्रुटि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सिफारिशों और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई), देहरादून की रिपोर्ट पर आधारित मामले का हिस्सा थी। कोर्ट ने टिप्पणी की, “राज्य सरकार ने बार-बार आश्वासन दिए, लेकिन कार्रवाई शून्य। क्या यह अवमानना का मामला नहीं?” कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि 7 अक्टूबर तक अधिसूचना जारी न हुई, तो चीफ सेक्रेटरी को छह महीने की जेल हो सकती है।
सारंडा जंगल: एशिया का सबसे बड़ा साल वन
सारंडा जंगल, जो झारखंड के सिंहभूम जिले में स्थित है, एशिया का सबसे बड़ा सघन सल वन क्षेत्र है। यह खनिज संपदा से समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन अवैध खनन और वनों की कटाई से खतरे में है। संरक्षणवादियों का कहना है कि अभयारण्य का दर्जा मिलने से जैव विविधता की रक्षा होगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सूरयू राय ने 30 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सरकार की सुस्ती से लाखों पेड़ खतरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश ऐतिहासिक है।”
राज्य सरकार ने मई 2025 में एक समिति गठित की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे “समय बर्बाद करने वाली चाल” करार दिया। चीफ जस्टिस ने व्यंग्य में कहा, “राष्ट्रपति ने बताया कि झारखंड के जेल बेहतरीन हैं। अवमानना करने वालों के लिए तैयार रहें।”
टाइपिंग मिस्टेक का खुलासा
गलती का पता 26 सितंबर को चला, जब लाइव लॉ और इंडिया लीगल जैसे मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट की। कोर्ट के रजिस्ट्रार ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि यह एक क्लेरिकल एरर था, जो डिजिटल फाइलिंग सिस्टम में हुआ। उत्तराखंड सरकार ने तुरंत आपत्ति जताई, जबकि झारखंड के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। मामला अब 8 अक्टूबर को फिर सूना जाएगा, जहां सही राज्य की मौजूदगी सुनिश्चित होगी। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार ने कहा, “यह मिस्टेक हास्यास्पद है, लेकिन सारंडा का मुद्दा गंभीर। झारखंड को जल्द अधिसूचना जारी करनी चाहिए, वरना कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा।” विधायक सूर्य राय ने अपील की, “पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। सरकार सोच-समझकर कदम उठाए।”आगे की कार्रवाईसुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के चीफ सेक्रेटरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने एक पांच सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समिति भेजी है, जो जंगल का सर्वे कर रही है। यदि अधिसूचना जारी हुई, तो यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित इलाके में शांति और संरक्षण का प्रतीक बनेगा।यह घटना सरकारी दस्तावेजों में सावधानी की आवश्यकता पर जोर देती है। अधिक अपडेट के लिए हमारी वेबसाइट पर बने रहें।