रांची, 24 सितंबर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जनजाति (ST) की एक महिला उम्मीदवार श्रेया कुमारी तिर्की के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) को निर्देश दिया है कि वह तिर्की को राज्य सिविल सेवा में नियुक्ति प्रदान करे। तिर्की को मेडिकल परीक्षा की तारीखों में भ्रम के कारण एक दिन की देरी से चूकने के चलते उनकी उम्मीदवाराई रद्द कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए एक बार की छूट देते हुए न्याय सुनिश्चित किया।
मामले का पूरा विवरण
श्रेया कुमारी तिर्की ने JPSC की राज्य सिविल सेवा भर्ती परीक्षा 2021 में भाग लिया था। उन्होंने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया, साथ ही साक्षात्कार और दस्तावेज सत्यापन भी पूरा कर लिया। अंतिम चयन सूची में शामिल होने के बाद उन्हें मेडिकल परीक्षा के लिए बुलाया गया, लेकिन अधिसूचना में तारीखों की अस्पष्टता के कारण वह एक दिन देरी से पहुंचीं। JPSC ने उनकी उम्मीदवाराई रद्द कर दी, जिसके खिलाफ तिर्की ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट ने JPSC के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 2025 को इस फैसले को पलट दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि “प्रक्रिया का उपयोग न्याय को अस्वीकार करने के लिए नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने तर्क दिया कि भले ही तिर्की की ओर से लापरवाही रही हो, लेकिन ST वर्ग की उम्मीदवार को दया दिखाने की जरूरत है।
कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले ‘नितीशा बनाम भारत संघ’ का हवाला देते हुए अप्रत्यक्ष भेदभाव के सिद्धांतों का उल्लेख किया। फैसले में कहा गया कि मेडिकल परीक्षा की तारीखों की अस्पष्टता ने तिर्की के साथ अन्याय किया है, जो भर्ती प्रक्रिया में अनुचित व्यवहार है। कोर्ट ने JPSC को निर्देश दिया कि वह तिर्की को तत्काल नियुक्ति दे और वेतन व अन्य लाभों का भुगतान करे।
कोर्ट के प्रमुख अवलोकन
- न्याय की प्राथमिकता: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तकनीकी खामियों के कारण योग्य उम्मीदवारों को बाहर नहीं किया जा सकता, खासकर वंचित वर्गों के लिए।
- एक बार की छूट: यह छूट केवल इस मामले तक सीमित रहेगी, लेकिन यह भविष्य में ऐसी प्रक्रियाओं में सुधार का संकेत देती है।
- ST आरक्षण का महत्व: कोर्ट ने ST उम्मीदवारों के प्रति संवेदनशीलता पर जोर दिया, जो ग्रामीण और आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं।
उम्मीदवार की प्रतिक्रिया
श्रेया तिर्की ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह न केवल मेरी जीत है, बल्कि सभी उन उम्मीदवारों की जीत है जो प्रक्रियागत कमियों का शिकार होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने न्याय की मिसाल कायम की है।” तिर्की का प्रतिनिधित्व वकील नीरज शेखर, क्षमा शर्मा, रामेंद्र विक्रम सिंह, राजेश मौर्य और उज्ज्वल आशुतोष ने किया।