बोकारो में आदिवासी सेंगेल अभियान का प्रदर्शन: हेमंत सोरेन सहित 28 आदिवासी विधायकों के पुतले फूंके, कुरमी महतो को ST का विरोध

बोकारो, झारखंड 6 अक्टूबर 2025  

 

झारखंड की राजनीति में आदिवासी अस्मिता का मुद्दा फिर गरमाया है। तिलका मुर्मू चौक, जैनामोड़ में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित 28 आदिवासी विधायकों, 5 आदिवासी सांसदों तथा दो सामान्य सीटों के विधायकों बाबूलाल मरांडी और कल्पना सोरेन के पुतले दहन किया गया। यह विरोध प्रदर्शन कुरमी महतो समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने के प्रस्ताव के खिलाफ था। बोकारो जिला अध्यक्ष एवं जोनल हेड सुखदेव मुर्मू के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि यह कदम असली आदिवासियों की पहचान और हिस्सेदारी पर सेंध लगाएगा।

 

पुतला दहन और नारों से गूंजा चौक

 

कार्यक्रम दोपहर में शुरू हुआ, जब सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने पुतलों को लाकर जैनामोड़ के तिलका मुर्मू चौक पर इकट्ठा किया। पुतलों पर हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, लुइस मरांडी, हेमलाल मुर्मू, धनंजय सोरेन, स्टीफन मरांडी, आलोक सोरेन, जगत माझी, दीपक बिरुआ, निरल पुरती, दशरथ गगराई, विकास मुंडा, भूषण तिर्की, जिगा सुसारन होरो, रामसुर्य मुंडा, गणेश महली, सुखराम उरांव, शिल्पी नेहा तिर्की, रामेश्वर उरांव, परितोष सोरेन, संजीव सरदार, सोना राम सिंकू, सुदिप गुरिया, राजेश कच्छप, चमरा लिंडा, भूषण बारा, नमन विक्सल कोंगाड़ी तथा रामचंद्र सिंह के नाम लिखे थे। इसके अलावा 5 आदिवासी सांसदों के पुतले भी शामिल थे।

सुखदेव मुर्मू ने नेतृत्व किया और कार्यकर्ताओं ने ‘हेमंत सोरेन मुर्दाबाद’, ‘कुरमी महतो को ST बनाना बंद करो’, ‘आदिवासी समाज के साथ खड़े हो या गद्दी छोड़ो’ जैसे नारे लगाए। पुतले जलाने के बाद प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे और जुलूस निकाला। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात किया, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।

 

देवनारायण मुर्मू का बयान: वोट बैंक की राजनीति पर निशाना

 

झारखंड प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू ने संबोधन में कहा, “कुरमी समाज का दावा है कि 1950 से पहले वे आदिवासी (ST) थे। इसकी पुष्टि के लिए उन्हें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। विगत 20 सितंबर 2025 को कुरमी/महतो समाज द्वारा ‘रेल रोको-रास्ता रोको’ आंदोलन के पीछे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का हाथ है। JMM ने वोट की लालच में आदिवासी विरोधी स्टैंड लेते हुए कुरमी को ST बनाने का फैसला पहले से घोषित कर दिया था। यह कुरमी को ‘ऑक्सीजन’ देकर भड़काने का काम है।”मुर्मू ने चेतावनी दी, “कुरमी महतो को ST बनाने से संताल, हो, मुंडा, उरांव, खड़िया, भूमिज, पहाड़िया, गोंड आदि असली आदिवासी समाज के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी पर सेंध लगेगी। यहां वोट बैंक की राजनीति हावी है। इसलिए कुरमी समाज का विरोध करने के बजाय आदिवासियों को JMM के 28 आदिवासी विधायकों का विरोध करना जरूरी है।” उन्होंने 8 फरवरी 2018 का जिक्र किया, जब विपक्ष में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 42 विधायक और दो सांसदों ने कुरमी को ST का झांसा देकर ‘मणिपुर जैसे हालात’ पैदा करने की कोशिश की थी।मुर्मू ने मांग की, “हेमंत सरकार होश में आए। कुरमी महतो को वोट की लालच में ST बनाना बंद करें। स्पष्टीकरण दें कि वे कुरमी के साथ हैं या आदिवासी समाज के। नहीं तो गद्दी छोड़ें। जरूरत पड़ी तो आदिवासी समाज 28 विधायकों के आवास घेरेंगे।”

 

अन्य नेताओं की उपस्थिति: सैकड़ों कार्यकर्ता जुटे

 

कार्यक्रम में केन्द्रीय संयोजक हराधन मरांडी, लुगूबुरु घंटा बाड़ी सरना धर्म गढ़ समिति, सचिव लोबिन मुर्मू, प्रदेश संयोजक जयराम सोरेन, करमचंद हांसदा, सेंगेल माझी परगना मंडवा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रमोहन मरांडी, फूलचंद किस्कू, विजय टुडू, भीम मुर्मू, गोपीनाथ मुर्मू, आनंद टुडू, ललिता सोरेन, सोनाराम मुर्मू, रिझू मुर्मू, सुरेश टुडू, संतोष सोरेन, कालीचरण किस्कू, सुभाष हांसदा, बृजमोहन मुर्मू, गजेन्द्र बास्के, किसुनराम बास्के, बुटान बेसरा, संजय टुडू, विजय मरांडी, राजकिशोर मुर्मू, मंगल मुर्मू, चंद्र किस्कू, सूरजलाल टुडू, रामप्रसाद सोरेन, सावित्री मुर्मू, सुरजमुनी सोरेन, जोबा मरांडी, मंजू मरांडी, सुरजमूनी हांसदा, सुरजमुनी हेम्बरम, सोमरी मुर्मू, सुरेश हांसदा, हीरालाल हांसदा, अनिता किस्कू, शांति सोरेन, शिवलाल मुर्मू, महेन्द्र मुर्मू, संजय मुर्मू, सोनामुनी मुर्मू, अंजलि सोरेन, उपासी मुर्मू आदि प्रमुख नेता मौजूद थे। सैकड़ों महिलाएं और पुरुष शामिल हुए, जिन्होंने एकजुटता दिखाई।

 

पृष्ठभूमि: कुरमी ST विवाद का इतिहास

 

झारखंड में कुरमी महतो समाज लंबे समय से ST दर्जा की मांग कर रहा है, जिसे OBC के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर ST कोटा में आरक्षण सीमित रखा था, लेकिन राजनीतिक दलों ने वोट बैंक के लिए इसका समर्थन किया। JMM सरकार पर आरोप है कि वह कुरमी वोटों के लिए ST का वादा कर रही है, जबकि आदिवासी संगठन इसे ‘धोखा’ मानते हैं। 20 सितंबर को कुरमी आंदोलन में रेल रोको जैसे प्रदर्शन हुए, जिसमें JMM की भूमिका पर सवाल उठे। सेंगेल अभियान आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय संगठन है, जो सरना धर्म और परंपराओं पर जोर देता है।राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: JMM चुप, BJP का मौनJMM ने अभी तक इस प्रदर्शन पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हेमंत सोरेन कार्यालय से संपर्क करने पर ‘कोई टिप्पणी नहीं’ कहा गया। विपक्षी भाजपा ने इसे ‘आदिवासी एकता का संदेश’ बताते हुए समर्थन जताया। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (जिनका भी पुतला फूंका गया) ने कहा, “JMM की वोट बैंक राजनीति आदिवासियों को बांट रही है।” कुरमी संगठनों ने पलटवार किया, “हमारा अधिकार संवैधानिक है, विरोध गलत।” यह प्रदर्शन झारखंड में ST आरक्षण विवाद को और भड़का सकता है। सेंगेल अभियान ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार स्पष्टीकरण नहीं देती, तो बड़े आंदोलन होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा 2029 लोकसभा चुनावों तक गूंजेगा।

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