नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारत सरकार ने एक विशेष 100 रुपये का स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया है। यह ऐतिहासिक क्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 अक्टूबर 2025 को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में चिह्नित किया गया। इस सिक्के पर स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ‘भारत माता’ की छवि अंकित की गई है, जो राष्ट्र निर्माण में आरएसएस के योगदान को रेखांकित करती है।
समारोह का महत्वपूर्ण विवरण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में आरएसएस को ‘कालातीत राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में संघ का योगदान महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय मुद्रा पर भारत माता की छवि अंकित की गई है, जो गौरव और ऐतिहासिक महत्व का क्षण है।” सिक्के पर आरएसएस का मूल मंत्र “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम” भी उकेरा गया है, जिसका अर्थ है “सब कुछ राष्ट्र को समर्पित, सब राष्ट्र का, कुछ भी मेरा नहीं।”आरएसएस की स्थापना 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हedgewar द्वारा की गई थी। यह संगठन स्वयंसेवकों पर आधारित है, जो सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। सौ वर्षीय यात्रा में आरएसएस ने आपदा राहत, रक्तदान अभियान, भोजन वितरण और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सिक्के और डाक टिकट की विशेषताएं
- 100 रुपये का स्मारक सिक्का:
- सामग्री: शुद्ध चांदी से निर्मित।
- अग्रभाग (ऑबवर्स): केंद्र में अशोक स्तंभ का सिंह राजधानी, नीचे “सत्यमेव जयते” अंकित। बाएं ओर देवनागरी में “भारत” और दाएं ओर अंग्रेजी में “INDIA”। नीचे रुपये चिह्न “₹” और मूल्य “100”।
- पीछे का भाग (रिवर्स): भारत माता सिंह पर विराजमान वरदा मुद्रा में, उनके समक्ष तीन स्वयंसेवक नमन करते हुए। बाएं ओर वर्ष “1925” और दाएं ओर “2025” अंकित।
- यह सिक्का आरएसएस स्वयंसेवकों के समर्पण और राष्ट्र सेवा को दर्शाता है।
- स्मारक डाक टिकट:
- मूल्य: 5 रुपये।
- डिजाइन: 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में आरएसएस स्वयंसेवकों की भागीदारी को चित्रित करता है। एक द्वितीयक छवि में स्वयंसेवक सामाजिक कार्य में लगे दिखाए गए हैं।
- यह टिकट संघ के ऐतिहासिक योगदान और राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका को उजागर करता है।
प्रधानमंत्री ने डाक टिकट को “आरएसएस स्वयंसेवकों की अटूट समर्पण की अभिव्यक्ति” बताया, जो 1963 की परेड में देशभक्ति के स्वरों पर कदम मिलाते हुए स्वयंसेवकों को स्मरण कराता है।
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