नई दिल्ली, 24 नवंबर 2025
राजधानी दिल्ली में जहरीली हवा के खिलाफ उठी आवाजें अचानक विवादों में घिर गईं। इंडिया गेट के सी-हेक्सागन पर वायु प्रदूषण के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा के समर्थन में ‘हिड़मा अमर रहे’ और ‘लाल सलाम’ जैसे नारे लगाए, जिससे पूरा माहौल गरमा गया। पुलिस ने हिंसक व्यवहार और हमले के आरोप में 22 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना न केवल प्रदूषण के मुद्दे को साइडलाइन कर दिया, बल्कि ‘अर्बन नक्सल’ की बहस को भी हवा दे दी।
प्रदर्शन का अनोखा मोड़: प्रदूषण से नक्सलवाद तक
इंडिया गेट के पास सैकड़ों युवा और छात्र संगठन वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। उनका मुख्य मुद्दा दिल्ली-एनसीआर में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता था, जहां कई इलाकों में AQI 400 से ऊपर पहुंच चुका है। प्रदर्शनकारी सरकार पर दिखावटी उपायों जैसे क्लाउड सीडिंग और पानी छिड़काव का आरोप लगा रहे थे। नारों में ‘पॉल्यूशन बंद करो, हवा साफ करो’ जैसे संदेश थे, लेकिन अचानक ही माहौल बदल गया।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने मारे गए नक्सली कमांडर हिड़मा के पोस्टर लहराए और ‘कॉमरेड हिड़मा अमर रहे’, ‘तुम कितने हिड़मा मारोगे, हर घर से हिड़मा निकलेंगे’ जैसे नारे लगाए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में युवा हिड़मा की मौत को ‘नक्सलवाद के खिलाफ दमन’ बता रहे दिखे। हिड़मा, जो छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन का प्रमुख कमांडर था, हाल ही में एक मुठभेड़ में मारा गया था। पुलिस के अनुसार, यह प्रदर्शन मूल रूप से पर्यावरणीय था, लेकिन इसमें चरमपंथी तत्वों की घुसपैठ हो गई।
पुलिस कार्रवाई: मिर्च स्प्रे हमला और गिरफ्तारियां
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति बेकाबू हो गई। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर मिर्च स्प्रे (पेपर स्प्रे) फेंका, जिससे 3-4 पुलिसवाले घायल हो गए। अफरा-तफरी के बीच हल्की झड़प हुई और ट्रैफिक व्यवस्था भी चरमरा गई।दिल्ली पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए FIR दर्ज की। सरकारी काम में बाधा, पुलिस पर हमला और अवैध जमावड़े के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “प्रदर्शनकारियों से पूछताछ चल रही है। नक्सली नारों के पीछे का नेटवर्क उजागर करने के लिए जांच तेज कर दी गई है।” सभी गिरफ्तारों का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है, और सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज होगा।
हिड़मा का बैकग्राउंड: नक्सलवाद का कुख्यात चेहरा
माडवी हिड़मा माओवादी संगठन का कुख्यात कमांडर था, जिस पर सैकड़ों हमलों का आरोप था। छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसकी मौत को ‘नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील’ बताया था। प्रदर्शन में उसके पोस्टर और नारों ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया। दिल्ली के विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने इसे ‘पर्यावरण आंदोलन में उग्रवाद की घुसपैठ’ करार दिया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इसे ‘अर्बन नक्सल’ की साजिश बता रहे हैं, जबकि कुछ कार्यकर्ता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा मान रहे हैं।
प्रदूषण का संकट: भूले हुए मुद्दे पर फोकस
यह घटना तब हुई जब दिल्ली में प्रदूषण चरम पर है। कई इलाकों में AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए, लेकिन यह विवाद प्रदूषण के मूल मुद्दे को पीछे धकेल रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे गरीबी, असमानता और पर्यावरण विनाश को जोड़कर देख रहे थे, लेकिन नक्सली नारों ने पूरा नैरेटिव बदल दिया।
प्रतिक्रियाएं और आगे की राहराजनीतिक दलों ने इसकी निंदा की है। भाजपा ने इसे ‘वामपंथी साजिश’ बताया, जबकि विपक्ष ने प्रदूषण पर सरकार की नाकामी को जिम्मेदार ठहराया। पुलिस ने भविष्य के प्रदर्शनों पर नजर रखने का ऐलान किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना पर्यावरण आंदोलनों में सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल खड़े करती है।