सड़क नहीं होने के कारण शनिचर मरांडी का पार्थिव शरीर 5 किलोमीटर तक कंधों पर लदकर घर पहुंचा।

हजारीबाग, झारखंड

झारखंड के कुछ गांवों की दुर्दशा आज भी ऐसी है कि लोगों को अपने गांव तक जाने के लिए सड़कें नसीब नहीं हो पायी है। हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ प्रखंड के गोविंदपुर कला पंचायत के सुदूरवर्ती गांव चितरामो टोला गिधिनिया परसतरी में प्रवासी मजदूर शनिचर मराण्डी के शव को पांच किलोमीटर तक कंधा दिया गया। बीते शुक्रवार को ही कर्नाटक के कमलानगर के निजी कम्पनी PVLT मे काम करते हुए उनकी मौत हो गयी। कंपनी ने उनके पार्थिव शरीर दो एम्बुलेंस के जरिये गांव तक पहुंचाने का बीड़ा तो उठाया, लेकिन वो एम्बुलेंस गांव या घर तक नहीं पहुंच पाया। एम्बुलेंस गांव से 5 किलोमीटर दूर सड़क पर ही शव को उतारकर वापस लौट गया। गांव के ग्रामीणों ने खटिये के सहारे शव को 5 किलोमीटर तक कंधा देकर घर तक पहुंचाया।

इस घटना पर संथाल समाज दिशोम मांझी परगना के केंद्रीय उपाध्यक्ष रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने अफसोस जताते हुए व्यवस्था पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने कहा कि देश आजादी के 78 साल और राज्य बने हुए 25 वर्ष हो गये फिर भी इस गांव को सड़क और पुल नसीब नहीं हुए। वही जिला उपाध्यक्ष सह पंचायत समिति सदस्य बहाराम हंसदा ने भी दुख ब्यक्त करते हुए अविलम्ब सड़क एवं पुल निर्माण कि मांग की है।

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