गयाजी पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: विष्णुपद मंदिर में पितरों के लिए किया पिंडदान, धार्मिक आस्था का अनोखा उदाहरण

गया, 20 सितंबर 2025
पितृपक्ष के पावन अवसर पर भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शनिवार को बिहार के धार्मिक नगरी गयाजी पहुंचीं। यहां उन्होंने विष्णुपद मंदिर परिसर में अपने स्वर्गीय पति, पिता समेत सात पूर्वजों के लिए पिंडदान का पावन कर्मकांड संपन्न किया। यह पहला मौका है जब कोई मौजूदा राष्ट्रपति ने गयाजी में इस प्राचीन हिंदू परंपरा को निभाया हो, जो आस्था और कर्तव्यनिष्ठा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।

राष्ट्रपति मुर्मू का यह एकदिवसीय दौरा पितृपक्ष मेला के दौरान हुआ, जब लाखों श्रद्धालु पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने यहां उमड़ रहे हैं। गया एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया, जहां बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी उनके साथ मौजूद थे। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को विष्णुपद मंदिर तक पहुंचाया और पूरे अनुष्ठान में उनका साथ दिया।
पिंडदान का पावन कर्मकांड: पूर्वजों के मोक्ष की कामना
विष्णुपद मंदिर पहुंचते ही राष्ट्रपति मुर्मू ने गंभीर मुद्रा में धार्मिक विधियों का पालन किया। उनके पारिवारिक पंडा राजेश लाल कटारियार ने विष्णुपद, देवघाट, फल्गु नदी और अक्षयवट के दर्शन कराए। राष्ट्रपति ने अपने स्वर्गीय पति श्याम चरण मुर्मू, पिता और अन्य कुलों के सात पूर्वजों का पिंडदान किया, जिससे उनके मोक्ष की कामना की गई।
पंडा राजेश लाल कटारियार ने बताया, “राष्ट्रपति बहुत ही शांत और गंभीर भाव से विधि संपन्न कर रही थीं। उनका पैतृक गांव ओडिशा के मयूरभंज जिले के ऊपरबेड़ा में है। परिवार के एक सदस्य ने पहले भी पिंडदान किया है, लेकिन राष्ट्रपति पद पर आसीन होकर यह उनका पहला दौरा है।” उन्होंने आगे कहा कि यह कर्मकांड एक दिवसीय विधान के तहत पूरा किया गया, जिसमें तर्पण और अन्य अनुष्ठान शामिल थे।

मंदिर परिसर में राष्ट्रपति के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। जिला प्रशासन ने एल्यूमिनियम फैब्रिकेटेड हॉल में तीन कक्ष तैयार किए थे—एक में राष्ट्रपति और उनके परिजनों ने कर्मकांड किया, जबकि शेष दो में राष्ट्रपति भवन के अधिकारी और सुरक्षा कर्मी रहे। सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात था।

गयाजी का धार्मिक महत्व: पितृ मोक्ष का प्रमुख केंद्र

गयाजी हिंदू धर्म में पितृ तर्पण का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यहां किया गया पिंडदान पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करता है। विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के चरण चिह्न की पूजा के बाद फल्गु नदी और अक्षयवट पर पिंड अर्पित करना परंपरा का अभिन्न अंग है। राष्ट्रपति का यह दौरा न केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक परंपराओं के सम्मान को भी दर्शाता है।

इससे एक दिन पहले शुक्रवार को उद्योगपति मुकेश अंबानी भी गयाजी पहुंचे और अपने पितरों का श्राद्ध किया था, जो पितृपक्ष मेले की महत्ता को रेखांकित करता है। श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने राष्ट्रपति के दौरे को ऐतिहासिक बताया।

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