नई दिल्ली, 26 दिसंबर 2025
वीर बाल दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक विशेष समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने देश भर से चुने गए 20 असाधारण बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया। ये बच्चे 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से हैं, जिन्होंने बहादुरी, नवाचार, खेल, कला-संस्कृति, सामाजिक सेवा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
समारोह प्रातः 10:00 बजे शुरू हुआ, जिसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों की उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू ने बच्चों को पदक, प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार प्रदान किए। प्रत्येक विजेता को मेडल, सर्टिफिकेट के साथ-साथ 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी दी गई।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि ये बच्चे न केवल अपने परिवार और समाज का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने बच्चों की ऊर्जा, दृढ़ता और उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार युवा मन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रमुख विजेताओं की झलक
इस वर्ष पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों में कई प्रेरणादायक कहानियां शामिल हैं:
- श्रवण सिंह (पंजाब): मात्र 10 वर्ष की आयु में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सीमावर्ती क्षेत्र में सैनिकों की सेवा कर बहादुरी दिखाई।
- वैभव सूर्यवंशी (बिहार): 14 वर्षीय क्रिकेट प्रतिभा, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।
- पूजा पाल (उत्तर प्रदेश): किसानों के लिए धूल-रहित थ्रेसर मशीन का नवाचार करने वाली बाल वैज्ञानिक।
ये बच्चे देश की युवा शक्ति का प्रतीक हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही असाधारण साहस और प्रतिभा का परिचय दिया।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के बारे में
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित यह पुरस्कार 5 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया जाता है। पुरस्कार की शुरुआत 1996 में हुई थी और यह बच्चों में आत्मविश्वास जगाने का माध्यम है। विजेताओं को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित करने के अलावा प्रधानमंत्री से मुलाकात और दिल्ली दर्शन का अवसर भी मिलता है।
वीर बाल दिवस के रूप में 26 दिसंबर को मनाया जाना गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों के बलिदान की याद दिलाता है, और इस दिन बच्चों की वीरता को सम्मानित करना विशेष महत्व रखता है।