झारखंड में लोगों ने सादगी से मनाया ‘विश्व आदिवासी दिवस’, बोकारो जिले का नाम बदले की रखी मांग

बोकारो, झारखंड

बोकारो जिले के चास प्रखंड के अन्तर्गत कनारी पंचायत के बरूआटांड़ जाहेरगाढ़ में आदिवासी सेंगेल अभियान के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विश्व आदिवासी दिवस को एकता और विजय( जुमिदो आर जितकार लगित् -For unity & Victory )के लिए संकल्प दिवस के रूप में मनाया और शपथ लिया गया।

सेंगेल बोकारो जिला अध्यक्ष सह बोकारो जोनल हेड सुखदेव मुर्मू ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त 1982 प्रथम बार आदिवासी सवाल पर चर्चा कि थी इसके बाद 1994 से प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का फैसला लिया गया। 13 सितंबर 2007 को विश्व आदिवासी आधिकार घोषणा पत्र जारी किया गया, ताकि विश्व के 90 देशों में रह रहे करीब 47 करोड़ (विश्व आबादी का 6.2 प्रतिशत ) आदिवासीयों का सांस्कृतिक संरक्षण एवं संवर्धन हो सके। संयुक्त राष्ट्र ने 2022 से 2032 की अवधि को “आदिवासी भाषा दशक” घोषित किया है। जो सिर्फ भाषा के संरक्षण एवं संवर्द्धन पर केंद्रित होगा।

झारखंड राज्य अलग हुए 25 वर्ष के बाद भी पलायन,विस्थापन,औद्योगिकरण और धर्मांतरण से लगातार आदिवासीयों जनसंख्या घटती जा रही है। उनकी भाषा संस्कृति पर विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है जबकि झारखंड प्रदेश का मुख्यमंत्री आदिवासी ही है। उन्होंने संबोधन पर जोर देते हुए अपने सात मांगों के साथ कहा कि बोकारो स्टील प्लांट स्थापित होने के साथ 64 मौजा 84 गांव जो माराफारी नाम से जाना जाता था आज यह नाम विलुप्त होने की कगार पर है। जबकि यह माराफारी आदिवासी संताली भाषा साहित्य से जुड़ा हुआ नाम है।
माराफारी इसका अर्थ है
मारा – मोर
फाड़ी – पंख
मोर का पंख ( माराफारी)
बोकारो जिला का नाम माराफारी जिला नाम किया जाए। क्योंकि यह आदिवासी भाषा संस्कृति से जुड़ा हुआ है। जब भारत देश के भीतर पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंग हो सकता है, कलकत्ता -कोलकाता हो सकता है, मद्रास चैनई हो सकता है, बेंगलोर – बेंगलुरु हो सकता है और इलाहाबाद – प्रायगराज हो सकता है तो माराफारी क्यों नहीं हो सकता है। जबकि भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर है। उनकी संस्कृति का सम्मान है तो हम आदिवासीयों का भी सम्मान किया जाए। इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकार से भी मांग करेंगे।

विश्व आदिवासी दिवस संकल्प के साथ सात निम्न मांगे :-
1. प्रकृति पूजक आदिवासीयों को अनुच्छेद -25 के तहत सरना धर्म कोड दर्जा जाए।
2. संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व आदिवासी भाषा दशक 2022-2032 पर राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संताली भाषा को अनुच्छेद -345 के तहत झारखंड में प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए बाकि हो, मुंडा,कुड़ुख, खड़िया आदि आदिवासी भाषाओं को सभी संरक्षित किया जाए।
3. आदिवासी स्वशासन (माझी परगना) व्यवस्था में सुधार कर जनतांत्रिकरण किया जाए।
4. CNT/SPT कानून को सख्ती से लागू किया जाए।
5. असम और अंडमान के झारखंडी आदिवासीयों को ST का दर्जा दिया जाए।
6. वीर शहीद सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के नाम दो ट्रस्ट का निर्माण कर प्रत्येक को 100-100 करोड़ का अनुदान दिया जाए।
7. बोकारो जिला का नाम माराफारी जिला नाम किया जाए।

विश्व आदिवासी संकल्प एवं शपथ सभा में निम्न लोग उपस्थित झारखंड प्रदेश संयोजक करमचंद हांसदा,जयराम सोरेन, बोकारो जिला संयोजक भीम मुर्मू,सेंगेल युवा मोर्चा चास प्रखंड अध्यक्ष कालीचरण किस्कू,सेंगेल माझी हाड़म उपेन्द्र हेम्बरम,संजूल मुर्मू, नागेश्वर मुर्मू,बुटान बेसरा,काजल हेम्बरम, सोनिया किस्कू, सावित्री मुर्मू,रामधन सोरेन,अमर सोरेन, नागेश्वर मुर्मू आदि लोग उपस्थित थे।

बोआरीजोर में याद किये गये परगना स्व. राम सोरेन

संताल परगना के गोड्डा जिला के बोआरीजोर निवासी परगना स्व. राम सोरेन (1869-1984) को विश्व आदिवासी दिवस 2025 के मौके पर पूजा पाठ करके याद किया गया। इस अवसर पर चांद नारायण मुर्मू, संस्थापक सीबीसी दोरमा, एवं बाबूराम मरन्डी, सचिव चांद भैरों क्लब दोरमा  मौजूद थे।

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