रांची/गोड्डा
झारखंड के गोड्डा जिले में 11 अगस्त 2025 को बोआरीजोर थाना क्षेत्र के कमलडोर पहाड़ के पास हुए सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने जांच के लिए नौ सदस्यीय टीम गठित की है, जो 24 अगस्त को गोड्डा के ललमटिया स्थित सूर्या हांसदा के पैतृक गांव का दौरा करेगी।
जांच टीम का गठन और उद्देश्य
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की इस जांच टीम का नेतृत्व आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा और निरुपम चकमा करेंगी। टीम में आयोग के सदस्य सचिव वाईपी यादव, सलाहकार एचआर मीना, सुभाष रशिक सोरेन, राहुल यादव, अनुसंधानकर्ता राहुल कुमार, निजी सचिव कुशेश्वर साहू, और प्रति रंजन चकमा शामिल हैं। यह टीम घटना की निष्पक्ष जांच करेगी और यह पता लगाएगी कि सूर्या हांसदा की मृत्यु वास्तविक मुठभेड़ में हुई थी या यह एक सुनियोजित हत्या थी, जैसा कि कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है।
सूर्या हांसदा एनकाउंटर: पृष्ठभूमि
सूर्या नारायण हांसदा, जिन्हें सूर्या हांसदा के नाम से जाना जाता था, गोड्डा के ललमटिया थाना क्षेत्र के डकैता गांव के निवासी थे। वे एक आदिवासी नेता थे और उन्होंने 2009, 2014 में झारखंड विकास मोर्चा (JVM), 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP), और 2024 में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के टिकट पर बोरियो विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। हालांकि, वे सभी चुनावों में असफल रहे। सूर्या पर लूट, अपहरण, और हत्या जैसे 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से कुछ में वे बरी हो चुके थे, जबकि अन्य की जांच चल रही थी। गोड्डा पुलिस के अनुसार, सूर्या हांसदा को 10 अगस्त 2025 को देवघर के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था। हथियार बरामद करने के लिए उन्हें रहड़बड़िया पहाड़ ले जाया जा रहा था, जब उन्होंने कथित तौर पर पुलिस की इंसास राइफल छीनकर भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोलीबारी की। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उन्हें मार गिराया।
राजनीतिक और सामाजिक विवाद
इस एनकाउंटर को लेकर झारखंड में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे “सुनियोजित हत्या” करार देते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह एनकाउंटर नहीं, बल्कि हत्या है और इसके पीछे खनन माफिया का हाथ हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी सूर्या के शव का दोबारा पोस्टमार्टम और सीबीआई जांच की मांग की है। आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी इस मामले में सवाल उठाए और कहा कि जब राज्य में सरेंडर पॉलिसी लागू है, तो सूर्या के मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू ने भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो आदिवासी समुदाय आंदोलन करेगा।
सीआईडी जांच और एनसीएसटी का हस्तक्षेप
इस मामले की जांच अब झारखंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) को सौंप दी गई है। डीजीपी अनुराग गुप्ता के आदेश पर दुमका रेंज के डीएसपी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है, और डीआईजी चंदन कुमार झा इसकी निगरानी करेंगे। सीआईडी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलिस्टिक रिपोर्ट, और फॉरेंसिक साक्ष्यों की जांच करेगी, साथ ही घटनास्थल का दौरा और गवाहों के बयान दर्ज करेगी। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है। आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गोड्डा के उपायुक्त, और पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यदि समयसीमा में जवाब नहीं मिला, तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338(क) के तहत समन जारी कर सकता है।