रांची,
झारखंड की राजधानी रांची के नगड़ी क्षेत्र में रविवार को रिम्स-2 जमीन विवाद को लेकर प्रदर्शन कर रहे विस्थापित किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे। इस कार्रवाई में कई किसान घायल हो गए, जिससे इलाके में तनाव का माहौल है। प्रदर्शन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को भी उनके आवास पर हाउस अरेस्ट कर लिया गया, जिसने इस घटना को और सुर्खियों में ला दिया।
रिम्स-2 जमीन विवाद और किसानों का आंदोलन
नगड़ी में रिम्स-2 (रिनपास) परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। स्थानीय आदिवासी और मूलवासी किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन को बिना उचित मुआवजे और पुनर्वास के अधिग्रहित किया गया। रविवार को हजारों किसान, महिलाएं और स्थानीय लोग अपनी जमीन पर हल चलाने और विरोध दर्ज कराने के लिए नगड़ी में एकत्र हुए। प्रदर्शनकारी अपनी जमीन वापस लेने और सरकार से उचित मुआवजे की मांग कर रहे थे।
पुलिस की कार्रवाई और लाठीचार्ज
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात किया था। स्थिति तब बिगड़ गई, जब प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और नगड़ी की ओर बढ़ने लगे। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले आंसू गैस के गोले दागे और फिर लाठीचार्ज किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि किसान और स्थानीय लोग आंसू गैस के धुएं और पुलिस की कार्रवाई के बीच तितर-बितर हो रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं, और कुछ को अस्पताल ले जाया गया।
चंपाई सोरेन का हाउस अरेस्ट
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन इस प्रदर्शन में शामिल होने वाले थे, लेकिन उन्हें रांची में उनके आवास पर हाउस अरेस्ट कर लिया गया। चंपाई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, “नगड़ी का किसान आंदोलन सफल रहा। प्रशासन के दमनात्मक रवैये और आंसू गैस के गोलों के बीच हजारों किसान, माताएं और बहनें खेतों में उतरे।” उन्होंने इस कार्रवाई को लोकतंत्र पर हमला करार दिया।
प्रशासन का रुख
रांची प्रशासन ने दावा किया कि प्रदर्शन के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ने और तय रूट से हटने की कोशिश की, जिसके कारण आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। प्रशासन ने नगड़ी में भारी पुलिस बल तैनात किया है और स्थिति को नियंत्रण में बताया है। इस बीच, घायल किसानों के इलाज और स्थिति की निगरानी के लिए स्थानीय संगठनों ने स्वयंसेवी टीमें बनाई हैं।