लेह, 27 सितंबर 2025
लद्दाख में राज्यhood और संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने नया मोड़ ले लिया है। प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तारी के बाद लद्दाख प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है, जबकि वांगचुक को लद्दाख से बाहर राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है। यह गिरफ्तारी हालिया हिंसक प्रदर्शनों के ठीक दो दिन बाद हुई है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। लद्दाख प्रशासन ने शनिवार रात बयान जारी कर कहा कि वांगचुक की गतिविधियां “सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा” थीं, इसलिए एनएसए के तहत कार्रवाई जरूरी थी। जोधपुर जेल में स्थानांतरित करने का उद्देश्य शांति बहाल करना है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह गिरफ्तारी आंदोलन को दबाने की कोशिश है, लेकिन लद्दाख की मांगें और मजबूत होंगी।
गिरफ्तारी का बैकग्राउंड
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख के लिए राज्यhood की मांग का नेतृत्व कर रहे हैं, को शुक्रवार (26 सितंबर) दोपहर 2:30 बजे लेह में लद्दाख डीजीपी एस.डी. सिंह जामवाल के नेतृत्व में पुलिस टीम ने हिरासत में लिया। केंद्र सरकार ने वांगचुक पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने ‘अरब स्प्रिंग’ और नेपाल के ‘जेन जेड’ प्रदर्शनों का जिक्र किया था। गृह मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक के भड़काऊ भाषणों ने 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा को जन्म दिया, जिसमें बीजेपी कार्यालय में आग लगाई गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए।
वांगचुक ने गिरफ्तारी से एक दिन पहले कहा था, “मैं गिरफ्तारी के लिए तैयार हूं। लेकिन जेल में सोनम वांगचुक बाहर वाले से ज्यादा समस्या पैदा कर सकता है।” उनकी गिरफ्तारी के साथ ही उनके एनजीओ ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ (SECMOL) का FCRA लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया, जिस पर विदेशी फंडिंग के उल्लंघन का आरोप है।
लद्दाख में तनाव चरम पर
गिरफ्तारी के बाद लेह और कारगिल में तनाव बढ़ गया है। लेह में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं, जबकि कारगिल में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत चार से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुख्य बाजारों में दुकानें बंद हैं और सुरक्षा बल सतर्कता बरत रहे हैं। लद्दाख सांसद हाजी हनीफा ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए गिरफ्तारी अस्वीकार्य है।”
लद्दाख एपेक्स बॉडी ने केंद्र के साथ बातचीत फिर से शुरू की है, लेकिन वांगचुक की गिरफ्तारी ने इसे प्रभावित किया है। अगली बैठक 29-30 सितंबर को नई दिल्ली में प्रस्तावित है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्ष ने गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला बताया है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनाते ने कहा, “यह मोदी सरकार का असफलता को छिपाने का प्रयास है। लद्दाख को मणिपुर न बनाएं।” आम आदमी पार्टी (AAP) ने जंतर-मंतर पर कैंडल लाइट विगिल का आयोजन किया, जबकि समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने वांगचुक को “पूरे भारत का गौरव” बताया। पंजाब और हिमाचल के मंत्री भी उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने इसे “विच हंट” करार दिया, जबकि कुछ समर्थकों ने इसे कानून-व्यवस्था बहाल करने का कदम बताया। लद्दाख, जो 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बना, अब पूर्ण राज्यhood और पर्यावरण संरक्षण की मांग कर रहा है। यह घटना केंद्र-राज्य संबंधों पर नई बहस छेड़ सकती है।