झारखंड हाईकोर्ट में पेसा नियमावली पर अवमानना याचिका की सुनवाई, सचिव मनोज कुमार रहे मौजूद

 

रांची, 23 दिसंबर 2025

 

झारखंड हाईकोर्ट में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा एक्ट) की नियमावली लागू नहीं करने से संबंधित अवमानना याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ के समक्ष हुई इस सुनवाई में पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार सशरीर अदालत में उपस्थित रहे।

यह अवमानना याचिका आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दायर की गई है। याचिका में कोर्ट के पूर्व आदेशों का पालन न करने का आरोप लगाया गया है, जिसमें पेसा नियमावली को शीघ्र लागू करने का निर्देश दिया गया था। पेसा एक्ट अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार प्रदान करता है, खासकर खनिज संसाधनों और बालू घाटों के प्रबंधन में।

सुनवाई के दौरान सचिव मनोज कुमार ने अदालत को अवगत कराया कि पेसा नियमावली का प्रस्ताव कैबिनेट में विचार के लिए भेजा जा चुका है। सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा होने की संभावना है। कोर्ट ने बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर लगी रोक को यथावत रखा है।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 तय की है। इससे पहले सरकार को नियमावली लागू करने की प्रगति पर स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने पहले की सुनवाइयों में भी देरी पर नाराजगी जताई थी और सचिव को व्यक्तिगत पेशी के आदेश दिए थे।

पेसा नियमावली झारखंड में वर्षों से लंबित है, जबकि केंद्र सरकार ने 1996 में ही यह अधिनियम लागू किया था। कई अन्य राज्यों में यह नियमावली पहले ही अधिसूचित हो चुकी है। आदिवासी संगठनों का मानना है कि नियमावली न लागू होने से अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। यह मामला आदिवासी अधिकारों और संसाधन प्रबंधन से जुड़ा होने के कारण महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगली सुनवाई में कैबिनेट के फैसले का असर पड़ सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *