नई दिल्ली,
पर्यावरण संरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को कड़ा धक्का दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि 8 अक्टूबर तक सारंडा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य (सेंक्चुरी) घोषित नहीं किया गया, तो मुख्य सचिव को जेल भेज दिया जाएगा। यह फैसला राज्य सरकार की ओर से पहले दिए गए आश्वासन का पालन न करने पर अवमानना (कॉन्टेम्प्ट) के आरोप में आया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सारंडा के घने जंगलों को संरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, अन्यथा सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह क्षेत्र जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां दुर्लभ प्रजातियों का निवास है, लेकिन अवैध कटाई और खनन गतिविधियों से यह खतरे में है।कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही इस संबंध में प्रतिबद्धता जताई थी, लेकिन समयसीमा का पालन नहीं किया गया। मुख्य सचिव पर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी तय करते हुए बेंच ने चेतावनी दी कि यह मामला पर्यावरण संरक्षण के व्यापक मुद्दे से जुड़ा है, जहां कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
झारखंड सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर आश्वासन दिया है कि निर्देशों का पालन किया जाएगा। हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसे सकारात्मक कदम बताते हुए सरकार पर दबाव बनाए रखने की मांग की है।
यह फैसला पर्यावरणीय मामलों में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का एक और उदाहरण है। हाल ही में तेलंगाना में पेड़ कटाई के मामले में भी कोर्ट ने मुख्य सचिव को जेल की धमकी दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय न केवल सारंडा को बचाएगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगा।