रांची, झारखंड
झारखंड के बहुचर्चित सूर्या नारायण हांसदा एनकाउंटर मामले की जांच अब क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) को सौंप दी गई है। पूर्व भाजपा नेता और चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा की 11 अगस्त 2025 को पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी, जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की मांग की थी।
क्या है मामला?
पुलिस के अनुसार, सूर्या हांसदा को 11 अगस्त को देवघर से गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के दौरान हांसदा ने गोड्डा के जिरली-धामनी पहाड़ियों में हथियार छिपाने की बात कबूली थी। पुलिस का दावा है कि उन्हें वहां ले जाते समय हांसदा ने पुलिस से हथियार छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई। हालांकि, हांसदा के परिवार ने इसे “योजनाबद्ध हत्या” करार देते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार ने शव लेने से भी इनकार कर दिया और CBI जांच की मांग की।
भाजपा ने लगाए गंभीर आरोप
बाबूलाल मरांडी ने इस एनकाउंटर को “ठंडे दिमाग से की गई हत्या” करार देते हुए कहा कि झारखंड पुलिस के कुछ अधिकारी अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं और आदिवासी नेताओं को निशाना बना रहे हैं। मरांडी ने मांग की कि इस मामले की जांच CBI या किसी हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में हो। वहीं, अर्जुन मुंडा ने कहा कि सूर्या हांसदा अवैध खनन और आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे थे, जिसके चलते उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए गए। मुंडा ने इसे “फर्जी एनकाउंटर” करार देते हुए CBI जांच की जरूरत पर जोर दिया। मुंडा 17 अगस्त को हांसदा के परिवार से मिलने गोड्डा जाएंगे। CID को जांच की जिम्मेदारी
सूत्रों के मुताबिक, बढ़ते राजनीतिक दबाव और विवाद को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच CID को सौंप दी है। हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि CID की जांच निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं, और वे CBI जांच के लिए दबाव बनाए रखेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, बढ़ते राजनीतिक दबाव और विवाद को देखते हुए राज्य सरकार ने इस मामले की जांच CID को सौंप दी है। हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि CID की जांच निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं, और वे CBI जांच के लिए दबाव बनाए रखेंगे।
राजनीतिक हलचल तेज
सूर्या हांसदा की मौत ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा इस मुद्दे को आदिवासी अधिकारों और पुलिस की कथित मनमानी से जोड़कर सरकार पर हमलावर है। दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि हांसदा कई आपराधिक मामलों में शामिल थे और एनकाउंटर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दिशानिर्देशों के अनुसार हुआ। इस मामले में CID की जांच के नतीजे और भाजपा की रणनीति पर सभी की निगाहें टिकी हैं।