संसद में ऐतिहासिक कदम: संताली समेत 22 भाषाओं में शुरू हुई इंटरप्रिटेशन सुविधा

नई दिल्ली,

 

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने घोषणा की है कि अब संसद की कार्यवाही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में इंटरप्रिटेशन (भाषांतरण) सुविधा के साथ उपलब्ध होगी। इस पहल में संताली, कोंकणी, कश्मीरी, बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू समेत अन्य भाषाओं को शामिल किया गया है, जो पहले केवल 18 भाषाओं तक सीमित थी।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे न केवल एक तकनीकी उपलब्धि, बल्कि भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव बताया। उन्होंने कहा, “यह कदम भारतीय लोकतंत्र को और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। अब हर क्षेत्र की आवाज अपनी मातृभाषा में संसद में गूंजेगी।”पहले संसद में हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध थी। अब नई व्यवस्था के तहत संताली, कोंकणी, कश्मीरी और अन्य भाषाओं को जोड़ा गया है, जिससे संसद की कार्यवाही को और अधिक व्यापक और समावेशी बनाया जा सके।

संताली टीम में शामिल हैं चार ट्रांसलेटर

संसद की कार्यवाही को संताली में इंटरप्रेट करने वालों में चार युवा शामिल हैं। इसमें दुमका संताल परगना की उषा किरण हांसदा, जमशेदपुर की प्रिया हांसदा आर हजारीबाग के संजीव मुर्मू शामिल हैं।

मातृभाषा को मिलेगी मजबूती

इस कदम को सोशल मीडिया पर भी व्यापक सराहना मिल रही है। कई नेताओं और नागरिकों ने इसे भारत की सांस्कृतिक एकता और भाषाई समृद्धि को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे “भारतीय लोकतंत्र की सशक्त यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धि” करार दिया। यह सुविधा न केवल संसद सदस्यों को अपनी मातृभाषा में विचार व्यक्त करने में सक्षम बनाएगी, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों को भी संसद की कार्यवाही को अपनी भाषा में समझने का अवसर प्रदान करेगी। यह कदम भारत की भाषाई विविधता को संरक्षित करने और उसे वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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