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लाल सागर के तल में बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल के कटने से भारत, पाकिस्तान सहित एशिया और मध्यपूर्व के कई देशों में इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इस घटना ने वैश्विक डिजिटल कनेक्टिविटी पर गंभीर संकट का साया डाल दिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी स्टेटस वेबसाइट पर बताया कि लाल सागर में समुद्र के नीचे केबल कटने के कारण इंटरनेट की गति में कमी और विलंबता की समस्या देखी जा रही है।
7 सितंबर 2025 को हुई इस घटना का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर दबाव बनाने के लिए यह कदम उठाया गया हो सकता है। हूती विद्रोहियों पर पहले भी लाल सागर में समुद्री जहाजों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के आरोप लग चुके हैं।
नेटब्लॉक्स, जो इंटरनेट पहुंच पर नजर रखने वाली संस्था है, ने बताया कि सऊदी अरब के जेद्दा के पास SMW4 और IMEWE केबल सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई। भारत, पाकिस्तान और अन्य एशियाई देशों में इंटरनेट की गति धीमी होने से उपयोगकर्ताओं को वेबसाइट खोलने, वीडियो स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन गेमिंग में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
फाइबर ऑप्टिक केबल का महत्व
समुद्र के नीचे बिछी ये फाइबर ऑप्टिक केबल्स वैश्विक इंटरनेट और डेटा ट्रांसफर का 99% हिस्सा संभालती हैं। ये केबल्स हाई-स्पीड डेटा ट्रांसमिशन के लिए लाइट सिग्नल का उपयोग करती हैं और वैश्विक संचार का आधार हैं। लाल सागर जैसे रणनीतिक क्षेत्र में इनका कटना न केवल तकनीकी, बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी गंभीर है।
क्या हैं चुनौतियां और आगे क्या?
केबल्स की मरम्मत एक जटिल और महंगा प्रक्रिया है, जिसमें विशेष जहाजों और तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। वैकल्पिक रास्तों जैसे केप ऑफ गुड होप या आर्कटिक सागर के जरिए केबल बिछाना लागत और समय के लिहाज से व्यवहारिक नहीं है। फिलहाल, प्रभावित देशों में इंटरनेट सेवा प्रदाता वैकल्पिक बैंडविड्थ की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द मरम्मत नहीं हुई तो इसका असर और गंभीर हो सकता है। उपयोगकर्ताओं से धैर्य रखने की अपील की गई है।