छत्तीसगढ़: दंडकारण्य में ऐतिहासिक आत्मसमर्पण, 208 नक्सलियों ने हथियार डाले; अबूझमाड़ क्षेत्र नक्सल मुक्त

रायपुर, 17 अक्टूबर 2025 

 

छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ एक अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई है। शुक्रवार को 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। यह सरेंडर दंडकारण्य का अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है, जो राज्य में नक्सल उन्मूलन अभियान की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इन नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, जिसमें 19 AK-47, 23 INSAS राइफलें, BGL लॉन्चर सहित अन्य घातक असलहा शामिल हैं।

आत्मसमर्पण का विवरण और महत्व

जगदलपुर के रिजर्व पुलिस लाइन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा की मौजूदगी में नक्सली नेता रूपेश के नेतृत्व में ये आत्मसमर्पण किया गया। सुबह 11 बजे शुरू हुए इस समारोह में नक्सली कमांडरों समेत वरिष्ठ कैडर भी शामिल थे। इनमें 1 सेंट्रल कमेटी सदस्य (सीसीएम), 2 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य (डीकेएसजेडसी), 15 डिविजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम), 1 माड़ एसीएम और 121 अन्य कैडर शामिल बताए जा रहे हैं।

पिछले दो दिनों में कुल 258 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जिसमें छत्तीसगढ़ से 197 और महाराष्ट्र से 61 शामिल हैं। इस बड़े सरेंडर के बाद अबूझमाड़ क्षेत्र को पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है, जो लंबे समय से नक्सली हिंसा का केंद्र रहा है। मुख्यमंत्री साय ने इसे “ऐतिहासिक दिन” करार देते हुए कहा कि यह नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में निर्णायक मोड़ है। उन्होंने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का श्रेय राज्य सरकार की पुनर्वास नीतियों, ‘लोन वर्राटू’ (घर वापसी) अभियान और ‘नियाद नेल्लनार’ योजना को दिया।

हथियारों का जखीरा और नक्सली संगठन को झटका

आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने भारी मात्रा में हथियार सौंपे, जो नक्सली संगठन की सैन्य क्षमता को कमजोर करने का संकेत देते हैं। हथियारों में शामिल प्रमुख असलहों की सूची इस प्रकार है:

हथियार का प्रकार

AK-47 -19

INSAS राइफल – 23

BGL लॉन्चर – 5

अन्य (SLR, इंसास आदि) – 106

कुल – 153

ये हथियार नक्सलियों के आईईडी निर्माण और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति को प्रभावित करेंगे। बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने बताया कि यह सरेंडर सुरक्षा बलों के लगातार अभियानों और स्थानीय समुदायों के सहयोग का परिणाम है।

नक्सलियों के आत्मसमर्पण के कारण

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने अपनी वजहें बताते हुए माओवादी विचारधारा को “अमानवीय और खोखला” करार दिया। उन्होंने कहा कि संगठन के अंदर हिंसा, शोषण और महिलाओं पर अत्याचार से तंग आकर उन्होंने हथियार डालने का फैसला लिया। राज्य सरकार की पुनर्वास नीतियां, जिसमें आर्थिक सहायता, आवास, शिक्षा और रोजगार के अवसर शामिल हैं, ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। एक पूर्व नक्सली ने कहा, “हम हिंसा के चक्र से मुक्त होना चाहते हैं और परिवार के साथ सामान्य जीवन जीना चाहते हैं।”

नक्सलवाद के खिलाफ अभियान की पृष्ठभूमि

दंडकारण्य क्षेत्र, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिलों को कवर करता है, लंबे समय से नक्सली हिंसा का गढ़ रहा है। 2023-2025 के बीच राज्य में नक्सली घटनाओं में कमी आई है, लेकिन अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाके चुनौती बने हुए थे। केंद्र सरकार के ‘नक्सल उन्मूलन अभियान’ और राज्य की ‘जिला रिजर्व गार्ड’ (डीआरजी) की भूमिका सराहनीय रही है। इस साल अब तक सैकड़ों नक्सली या तो सरेंडर कर चुके हैं या मारे गए हैं।यह सरेंडर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है, जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को 2026 तक मुक्त करने का लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे सामूहिक सरेंडर से नक्सली संगठन की कमर टूट जाएगी।

 

 

 

 

 

 

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