कोलकाता, 23 दिसंबर 2025
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर जारी कथित हिंसा और मयमनसिंह जिले में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बर्बर मॉब लिंचिंग की घटना के विरोध में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मंगलवार को जोरदार प्रदर्शन हुआ। ‘बंगीय हिंदू जागरण’ के बैनर तले आयोजित ‘हिंदू हुंकार पदयात्रा’ सियालदह से शुरू होकर बांग्लादेश उप-उच्चायोग कार्यालय की ओर जा रही थी, लेकिन पुलिस ने इसे बेकबागान क्षेत्र में ही रोक दिया।
भगवा झंडे थामे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और दीपू चंद्र दास को न्याय दिलाने तथा वहां हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने प्लेकार्ड्स पर लिखा था – “हिंदू रक्त की एक-एक बूंद का हिसाब चाहिए” और “बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बंद करो”। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर मार्च को आगे बढ़ने से रोका, जिससे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई। कुछ रिपोर्ट्स में पुलिस द्वारा बल प्रयोग की भी खबरें आईं, हालांकि स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया।
यह प्रदर्शन बांग्लादेश के भालुका क्षेत्र में 18 दिसंबर को हुई दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या के खिलाफ था। 25-27 वर्षीय दीपू एक गारमेंट फैक्ट्री में कार्यरत थे। कथित ईशनिंदा के आरोप में सहकर्मियों और भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला, शव को पेड़ से लटकाया और आग लगा दी। जांच में ईशनिंदा के आरोप की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठा रही है। अंतरिम सरकार ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया है और घटना की निंदा की है।
कोलकाता में यह प्रदर्शन सोमवार को भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में हुए विरोध का हिस्सा है, जहां बांग्लादेश उप-उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनकारियों ने मुहम्मद यूनुस का पुतला फूंका था। देशभर में दिल्ली, हैदराबाद, भोपाल सहित कई शहरों में विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल और अन्य संगठनों ने प्रदर्शन किए। दिल्ली में VHP कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़े और पुलिस से झड़प हुई।
हिंदू संगठनों का कहना है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले रुकवाए जाएं और दोषियों को सजा दी जाए। इस घटना से भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ गया है, बांग्लादेश ने भारतीय राजदूत को तलब किया और प्रदर्शनों को अस्वीकार्य बताया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अमेरिकी सांसदों और संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। प्रदर्शनों से कोलकाता में यातायात प्रभावित हुआ और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। यह आंदोलन आगे भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि हिंदू संगठन बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।