सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर सख्त फैसला: दिल्ली-NCR में 8 हफ्तों में सभी कुत्तों को शेल्टर में स्थानांतरित करने का आदेश, मचा बवाल

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर एक बड़ा और विवादास्पद फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को अपने आदेश में दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम्स में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। यह फैसला बच्चों और बुजुर्गों पर कुत्तों के हमलों और रेबीज से होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर लिया गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि सड़कों को पूरी तरह से आवारा कुत्तों से मुक्त करना होगा और इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

आज, 14 अगस्त 2025 को, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच (जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजरिया) इस मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या इस आदेश पर रोक लगाने या संशोधन की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बच्चों और बुजुर्गों को रेबीज और कुत्तों के काटने के डर से सुरक्षित रखना जरूरी है। जस्टिस जे.बी. परदीवाला और आर. महादेवन की बेंच ने इस मामले में जनहित को सर्वोपरि बताया। कोर्ट ने कहा, “हम यह सब जनहित के लिए कर रहे हैं। इसमें कोई भावनात्मक दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए। क्या पशु प्रेमी उन बच्चों को वापस ला सकते हैं, जो रेबीज की वजह से मर गए?” कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि शेल्टर होम्स में कुत्तों की देखभाल, नसबंदी, टीकाकरण और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था हो।

क्या हैं मुख्य निर्देश

  • शेल्टर में स्थानांतरण: दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को 6-8 सप्ताह में शेल्टर होम्स में स्थानांतरित करना होगा।
  • नो-रिलीज नीति: नसबंदी के बाद भी कुत्तों को सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
  • हेल्पलाइन और निगरानी: कुत्तों के हमले की शिकायतों के लिए 24*7 हेल्पलाइन और शेल्टर में सीसीटीवी निगरानी अनिवार्य।
  • क्रूरता पर रोक: शेल्टर में कुत्तों के साथ किसी भी तरह की क्रूरता या उपेक्षा नहीं होनी चाहिए।

विवाद और प्रतिक्रियाएं

इस फैसले ने देशभर में तीखी बहस छेड़ दी है। एक तरफ, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) और दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि कुत्तों के हमलों से लोग परेशान हैं और यह कदम जनसुरक्षा के लिए जरूरी है। दिल्ली में इस साल 26,000 से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले और 49 रेबीज के केस दर्ज हुए हैं। दूसरी तरफ, पशु अधिकार संगठन और कार्यकर्ता इस फैसले को “अमानवीय” और “अव्यवहारिक” बता रहे हैं। PETA इंडिया ने इसे “अवैज्ञानिक” करार देते हुए कहा कि दिल्ली में अनुमानित 10 लाख आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर बनाना असंभव है। PETA की सीनियर डायरेक्टर डॉ. मिनी अरविंदन ने कहा, “यह कदम कुत्तों और समुदायों के लिए पीड़ा और अराजकता का कारण बनेगा।” पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी इसे “असंवेदनशील” और “आर्थिक रूप से अव्यवहारिक” बताया, क्योंकि 10 लाख कुत्तों के लिए 2,000 शेल्टर बनाने में 15,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।

प्रदर्शन और हिरासत

11 अगस्त को इंडिया गेट पर पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कई बॉलीवुड हस्तियों, जैसे वरुण ग्रोवर और वीर दास, ने आवारा कुत्तों को गोद लेने की अपील की है।

कानूनी और व्यावहारिक चुनौतियां
  • शेल्टर की कमी: दिल्ली में वर्तमान में केवल 20 नसबंदी केंद्र हैं, जिनकी क्षमता 2,500 कुत्तों की है। 10 लाख कुत्तों के लिए शेल्टर बनाना एक बड़ी चुनौती है।
  • कानूनी टकराव: यह आदेश 2001 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के खिलाफ है, जो नसबंदी के बाद कुत्तों को वापस उसी स्थान पर छोड़ने की बात कहता है।
  • वित्तीय बोझ: शेल्टर निर्माण, कर्मचारी, भोजन और चिकित्सा सुविधाओं के लिए भारी धनराशि की जरूरत होगी।

 

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