हसीना विरोधी की खुलना में एनसीपी नेता मोहम्मद मोतालेब शिकदर पर गोलीबारी, हालत गंभीर

ढाका, 22 दिसंबर 2025
बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार को खुलना शहर के सोनाडांगा इलाके में नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के खुलना डिवीजनल प्रमुख और पार्टी की श्रमिक इकाई ‘जातीय श्रमिक शक्ति’ के केंद्रीय आयोजक मोहम्मद मोतालेब शिकदर (42) पर अज्ञात हमलावरों ने गोली चला दी। गंभीर रूप से घायल शिकदर को तुरंत खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस और पार्टी सूत्रों के अनुसार, घटना दोपहर करीब 11:45 से 12:15 बजे के बीच हुई। हमलावरों ने शिकदर के सिर को निशाना बनाया, लेकिन गोली उनके कान के पास से गुजर गई या चीरते हुए निकल गई, जिससे उनकी जान बच गई। सोनाडांगा मॉडल थाना के जांच अधिकारी अनिमेश मंडल ने मीडिया को बताया कि “अज्ञात हमलावर ने सिर को लक्ष्य करके गोली चलाई, लेकिन गोली कान से प्रवेश कर दूसरी तरफ से निकल गई। फिलहाल वे खतरे से बाहर हैं।”
एनसीपी की संयुक्त मुख्य आयोजक महमुदा मितु ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर घटना की पुष्टि की और शिकदर की तस्वीर साझा की। पार्टी के खुलना मेट्रोपॉलिटन यूनिट के आयोजक सैफ नेवाज ने बताया कि शिकदर पार्टी की आगामी डिवीजनल श्रमिक रैली की तैयारी में जुटे थे।
ओसमान हादी की हत्या के बाद बढ़ी अशांति की पृष्ठभूमि
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब देश पहले से ही इंकिलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ ओसमान हादी की हत्या से उपजे हिंसा से जूझ रहा है। हादी पर 12 दिसंबर को ढाका में गोली चलाई गई थी और वे सिंगापुर में इलाज के दौरान 18 दिसंबर को चल बसे। उनकी मौत के बाद देशभर में प्रदर्शन हुए, जिसमें मीडिया हाउस, सांस्कृतिक केंद्र और कुछ राजनयिक संपत्तियों पर हमले हुए।
एनसीपी, जो 2024 के छात्र आंदोलन से उभरी प्रमुख राजनीतिक शक्ति है, ने हादी की मौत को राजनीतिक साजिश करार दिया है। शिकदर पर हमला भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है, हालांकि हमलावरों की पहचान या मकसद का अभी खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और घटनास्थल का निरीक्षण किया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
एनसीपी नेताओं ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने हाल की हिंसा पर चिंता जताई है और शांति की अपील की है। फरवरी 2026 में होने वाले संसदीय चुनाव से पहले देश में राजनीतिक तनाव चरम पर है।यह घटना बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पतन के बाद जारी अस्थिरता को और उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव पूर्व हिंसा देश की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकती है।

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