दुमका, 25 नवंबर 2025
झारखंड के दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड अंतर्गत पिपरा पंचायत के तिलायटांड गांव में उस परिवार की स्थिति देखकर किसी का भी दिल दहल जाए, जिसके ससुर कभी अखंड बिहार के विधायक रहे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। हम बात कर रहे हैं 1969 में शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक चुने गए चडरा मुर्मू उर्फ चंदा मुर्मू की पुत्रवधू लुखी हेम्बरम की, जो आज दूसरों के घर मजदूरी करके अपने इकलौते बेटे अनिकेत मुर्मू का पेट पाल रही हैं।चंदा मुर्मू गांधीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल केजरीवाल के नेतृत्व में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनके योगदान को देखते हुए 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था। 1969 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता बरियार हेम्बरम को हराकर शिकारीपाड़ा सीट जीती थी।लेकिन आज उनके परिवार की हालत यह है कि पुत्रवधू लुखी हेम्बरम को मजदूरी करके घर चलाना पड़ रहा है। लुखी बताती हैं, “मेरे पति दीबू मुर्मू ससुर के निधन के बाद मैट्रिक भी पास नहीं कर पाए। सास ताला हांसदा के कहने पर हमारी शादी हुई। उस समय सास को स्वतंत्रता सेनानी पारिवारिक पेंशन के रूप में महज 265 रुपये 50 पैसे प्रतिमाह मिलते थे, जिससे घर चलाना मुश्किल था। 2013 में सास और 2017 में पति के निधन के बाद जीवन और कष्टकर हो गया।”लुखी ने मजदूरी करके किसी तरह अपने बेटे अनिकेत को पढ़ाया-लिखाया और 2024 में उसे बीएड की डिग्री दिलाई। लेकिन सरकारी नौकरी के नियम-कानूनों के चलते अनिकेत भी आज बेरोजगार है और घर पर बैठा है। लुखी कहती हैं, “अब तक हमें अबुआ आवास, विधवा पेंशन या कोई दूसरी सरकारी सुविधा नहीं मिली। सिर्फ राशन की दुकान से चावल मिलता है। मजदूरी करके ही किसी तरह दो जून की रोटी जुटा पाते हैं।”
सांसद नलीन सोरेन का वादा
मामले की जानकारी मिलने पर दुमका लोकसभा सांसद नलीन सोरेन ने कहा, “स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक चडरा मुर्मू के परिजनों को पेंशन और अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए मैं निश्चित रूप से पहल करूंगा।” परिवार आज भी सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठा है कि कोई तो उनकी सुध लेगा।
मामले की जानकारी मिलने पर दुमका लोकसभा सांसद नलीन सोरेन ने कहा, “स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक चडरा मुर्मू के परिजनों को पेंशन और अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए मैं निश्चित रूप से पहल करूंगा।” परिवार आज भी सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठा है कि कोई तो उनकी सुध लेगा।