रांची, 4 अक्टूबर 2025
झारखंड के पूर्व महालेखाकार (अकाउंटेंट जनरल) बेंजामिन लकड़ा का आज सुबह निधन हो गया। 65 वर्षीय लकड़ा लंबे समय से बीमार चल रहे थे और रांची के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन की खबर से राज्य के प्रशासनिक और वित्तीय हलकों में शोक की लहर दौड़ गई है। लकड़ा को झारखंड के वित्तीय प्रबंधन और लेखा-जोखा में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा।
बेंजामिन लकड़ा का निधन आज सुबह लगभग 6:30 बजे हृदयाघात से हुआ। वे पिछले कई महीनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे, जिसमें डायबिटीज और हृदय रोग शामिल थे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे रांची में ही रह रहे थे और सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों में जुड़े हुए थे। अंतिम संस्कार आज शाम को रांची के क्रिश्चियन कब्रिस्तान में किया गया।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया, “बेंजामिन लकड़ा जी एक समर्पित अधिकारी थे, जिन्होंने झारखंड के वित्तीय स्वास्थ्य को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन से राज्य को अपूरणीय क्षति हुई है।” जीवन परिचय और योगदानबेंजामिन लकड़ा का जन्म 1960 में झारखंड के लातेहार जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रांची के सेंट पॉल स्कूल से पूरी की और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1985 में भारतीय लेखा परीक्षा एवं खाता सेवा (IA&AS) में चयनित होकर उन्होंने केंद्रीय सरकार की सेवा में प्रवेश किया।
- झारखंड में भूमिका: 2010 से 2015 तक वे झारखंड के महालेखाकार के रूप में कार्यरत रहे। इस दौरान उन्होंने राज्य के बजट प्रबंधन, लेखा परीक्षा और वित्तीय पारदर्शिता पर विशेष ध्यान दिया। उनके कार्यकाल में कई घोटालों की जांच हुई और राज्य के वित्तीय सिस्टम को मजबूत करने के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ाया गया।
- केंद्रीय सेवा: सेवानिवृत्ति के बाद भी वे केंद्रीय लेखा परीक्षा विभाग से जुड़े रहे और विभिन्न राज्यों में सलाहकार की भूमिका निभाई। वे आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए सक्रिय थे और लातेहार में एक शिक्षा फाउंडेशन चलाते थे।
- पुरस्कार और सम्मान: उनके योगदान के लिए 2014 में झारखंड सरकार द्वारा ‘झारखंड गौरव सम्मान’ से नवाजा गया। वे कई पेशेवर संगठनों के सदस्य भी थे।
लकड़ा सरल स्वभाव के व्यक्ति थे, जो हमेशा युवा अधिकारियों को प्रोत्साहित करते थे। पूर्व वित्त सचिव ने उन्हें याद करते हुए कहा, “वे न केवल एक अधिकारी थे, बल्कि एक मार्गदर्शक भी थे।”