रांची,
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन को रविवार को उनके रांची स्थित आवास पर हाउस अरेस्ट कर लिया गया। यह कार्रवाई सदर डीएसपी के नेतृत्व में की गई, जब चंपाई सोरेन रिम्स-2 जमीन विवाद को लेकर नगड़ी में हल चलाने वाले प्रदर्शन में शामिल होने जा रहे थे। इस घटना ने झारखंड की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है।
हाउस अरेस्ट की वजह: रिम्स-2 जमीन विवाद
चंपाई सोरेन रिम्स-2 जमीन विवाद के मुद्दे पर नगड़ी में प्रस्तावित प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले थे, जहां हजारों लोग जुटने की उम्मीद थी। इस प्रदर्शन का उद्देश्य जमीन से संबंधित कथित अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाना था। हालांकि, प्रशासन ने उन्हें उनके आवास से बाहर निकलने से रोक दिया। सूत्रों के अनुसार, कई अन्य बड़े नेताओं को भी रिम्स-2 क्षेत्र में जाने से रोका गया है। पुलिस ने इलाके में भारी तैनाती की है ताकि किसी भी तरह की अशांति को रोका जा सके।
प्रशासन की सख्ती, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
प्रशासन ने प्रदर्शन को देखते हुए रांची में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। पुलिस जवानों की तैनाती के साथ-साथ क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। चंपाई सोरेन के हाउस अरेस्ट को लेकर जेएमएम समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है, और इसे सरकार की ओर से विपक्ष को दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।चंपाई सोरेन का सियासी सफर
चंपाई सोरेन, जिन्हें ‘झारखंड का टाइगर’ के नाम से जाना जाता है, ने 1990 के दशक में झारखंड अलग राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। वे पांच बार के विधायक हैं और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद 2 फरवरी 2024 को चंपाई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और चार महीने तक इस पद पर रहे।
चंपाई सोरेन, जिन्हें ‘झारखंड का टाइगर’ के नाम से जाना जाता है, ने 1990 के दशक में झारखंड अलग राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। वे पांच बार के विधायक हैं और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद 2 फरवरी 2024 को चंपाई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और चार महीने तक इस पद पर रहे।