माओवादियों का बंद आह्वान: वार्ता से इंकार पर झारखंड समेत पांच राज्यों में 15 अक्टूबर को बंद, 8-14 अक्टूबर तक प्रतिरोध सप्ताह

रांची, 30 सितंबर 2025

 

केंद्र सरकार द्वारा शांति वार्ता से इंकार के बाद भाकपा (माओवादी) ने झारखंड समेत बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ में 15 अक्टूबर को 24 घंटे का बंद का ऐलान किया है। संगठन ने इसके अलावा 8 से 14 अक्टूबर तक इन राज्यों में ‘प्रतिरोध सप्ताह’ मनाने की घोषणा की है, जिसमें स्मृति सभाएं, विरोध प्रदर्शन और जागरूकता कार्यक्रम शामिल होंगे। यह कदम नक्सल विरोधी अभियानों के खिलाफ एकजुटता दिखाने और संगठन के ‘शहीद’ नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का हिस्सा है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने सभी प्रभावित जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। भाकपा (माओवादी) के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो के प्रवक्ता ‘आजाद’ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में शांति वार्ता के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद यह कदम उठाया गया है। संगठन का दावा है कि यह बंद ‘क्रांतिकारी संघर्ष’ को मजबूत करने और ‘दमनकारी नीतियों’ के खिलाफ जन-आंदोलन का प्रतीक होगा।

बंद 15 अक्टूबर सुबह 6 बजे से 16 अक्टूबर सुबह 6 बजे तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले, 8 से 14 अक्टूबर तक प्रतिरोध सप्ताह के दौरान संगठन के समर्थक गांवों में सभाएं आयोजित करेंगे, जहां हाल के नक्सल विरोधी अभियानों में मारे गए नेताओं की याद में कार्यक्रम होंगे। विशेष रूप से, छत्तीसगढ़ के कर्रेगुट्टा हिल्स में मई 2025 में हुई मुठभेड़ में जनरल सेक्रेटरी बासवराजू और अन्य 27 नक्सलियों की मौत का जिक्र किया गया है। 2025 में 10,000 से अधिक नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद संगठन कमजोर दिख रहा है।

झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों जैसे वेस्ट सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, गुमला, खूंटी और लातेहार में सबसे अधिक असर की आशंका है। बिहार के गया, औरंगाबाद और जहानाबाद, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर, असम के धुबरी और कोकराझार तथा छत्तीसगढ़ के उत्तरी भागों में भी सक्रियता बढ़ने का संकेत दिया गया है। संगठन ने समर्थकों से सड़कें, रेल पटरियां और सरकारी कार्यालयों को लक्ष्य न करने का आग्रह किया है, लेकिन अतीत के अनुभवों से हिंसा की आशंका बनी हुई है।

 

पृष्ठभूमि और तर्क

भाकपा (माओवादी) ने अगस्त 2025 में सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से स्थगित करने और शांति वार्ता के लिए एक महीने का युद्धविराम घोषित किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालांकि इसे ‘रणनीतिक चाल’ बताते हुए वार्ता से इंकार कर दिया, जिसके बाद संगठन ने इसे ‘युद्ध की घोषणा’ करार दिया। प्रवक्ता ने कहा, “सरकार की दमनकारी नीतियां आदिवासी-किसान समुदाय को कुचल रही हैं। यह बंद इनकी आवाज बनने का प्रयास है।”यह आह्वान हाल के नक्सल विरोधी अभियानों के खिलाफ है। 2025 में ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ (ऑपरेशन कागर) के तहत छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें संगठन के शीर्ष नेता शामिल थे।

इसी तरह, जुलाई 2025 में झारखंड में तीन अगस्त को बंद का आह्वान किया गया था, जो उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम तक फैला था। संगठन का तर्क है कि ये अभियान ‘जन-विरोधी’ हैं और खनन, विस्थापन तथा गरीबी को बढ़ावा दे रहे हैं।

 

प्रभाव और सुरक्षा उपाय

यह बंद नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। खनन क्षेत्रों में काम ठप होने से लाखों मजदूर प्रभावित होंगे, जबकि रेल और सड़क यातायात बाधित हो सकता है। आदिवासी बहुल इलाकों में स्कूल-बाजार बंद रहने से दैनिक जीवन प्रभावित होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिरोध सप्ताह के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा की घटनाएं बढ़ सकती हैं, जैसा कि जुलाई 2025 के बंद में देखा गया था।  झारखंड पुलिस ने सभी जिलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की टुकड़ियों को तैनात किया है। रेलवे ने 14 से 16 अक्टूबर तक विशेष गश्त की योजना बनाई है।  बिहार और छत्तीसगढ़ में भी आईईडी डिटेक्शन और ड्रोन निगरानी बढ़ाई गई है। गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि ‘लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म’ को 2026 तक समाप्त करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहें।

 

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