नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उग्र प्रदर्शन, संसद में घुसे युवा, पुलिस कार्रवाई में 16 की मौत

काठमांडू,
नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ जनरेशन-जेड (Gen-Z) के नेतृत्व में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस और सुरक्षाबलों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और गोलीबारी का सहारा लिया। पुलिस कार्रवाई में कम से कम 16 लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने की खबर है।
प्रदर्शन की शुरुआत और कारण
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स, रेडिट समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इन कंपनियों ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन की समयसीमा का पालन नहीं किया। सरकार का कहना है कि ये प्रतिबंध तब तक जारी रहेंगे, जब तक कंपनियां नेपाल में कार्यालय खोलकर रजिस्ट्रेशन नहीं करातीं और गड़बड़ियों को रोकने के लिए सिस्टम स्थापित नहीं करतीं। हालांकि, टिकटॉक और वाइबर जैसे प्लेटफॉर्म्स ने नियमों का पालन किया, जिसके कारण उन पर प्रतिबंध नहीं लगा। इस फैसले से भड़के युवाओं ने 8 सितंबर से “Gen-Z रिवोल्यूशन” के नाम से देशव्यापी प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शनकारी न केवल सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग कर रहे हैं, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं। 20 वर्षीय छात्रा इक्षमा तुमरोक ने कहा, “हम सरकार के तानाशाही रुख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हम बदलाव चाहते हैं, पहले की पीढ़ियों ने इसे सहा, लेकिन अब इसे हमारी पीढ़ी में खत्म होना चाहिए।”
हिंसक झड़पें और कर्फ्यू
सोमवार को काठमांडू के न्यू बानेश्वर इलाके में हजारों प्रदर्शनकारी मैतीघर मंडला से संसद भवन की ओर मार्च करते हुए गेट नंबर 2 तक पहुंच गए। बैरिकेड तोड़ने के बाद कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, रबर बुलेट्स और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने पत्थर और पानी की बोतलें फेंकी, जिसके जवाब में पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की।हालात बेकाबू होने के बाद काठमांडू जिला प्रशासन ने न्यू बानेश्वर, सिंग्हा दुरबार, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास बालुवाटर समेत चार जिलों में रात 10 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया। किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस या प्रदर्शन पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। नेपाली सेना को भी स्थिति नियंत्रित करने के लिए तैनात किया गया है। इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं कई घंटों तक बाधित रहीं, हालांकि टिकटॉक पर प्रदर्शन की लाइव स्ट्रीमिंग जारी रही।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और सरकार का रुख
प्रदर्शन में शामिल अधिकतर युवा स्कूल यूनिफॉर्म में थे, ताकि यह स्पष्ट हो कि यह आंदोलन Gen-Z की अगुवाई में है। प्रदर्शनकारियों ने “सोशल मीडिया चालू करो, भ्रष्टाचार बंद करो, नौकरी दो और इंटरनेट एक्सेस दो” जैसे नारे लगाए। 24 वर्षीय छात्र युजन राजभंडारी ने कहा, “सोशल मीडिया बैन ने हमें झकझोरा, लेकिन हम सिर्फ इसी वजह से इकट्ठा नहीं हुए। भ्रष्टाचार और बेरोजगारी भी बड़े मुद्दे हैं। “प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा, “किसी भी प्रदर्शन की कीमत चुकानी पड़ती है। देश को कमजोर करना बर्दाश्त नहीं होगा।” सरकार ने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करती है, लेकिन सोशल मीडिया कंपनियों को नियमों का पालन करना होगा।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
सोशल मीडिया बैन से नेपाल में लाखों यूजर्स प्रभावित हुए हैं, जो मनोरंजन, समाचार और व्यवसाय के लिए इन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सामान बेचने वाले कारोबारियों का व्यापार ठप हो गया है, जबकि यूट्यूब और गिटहब जैसे प्लेटफॉर्म्स बंद होने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। कुछ लोग वीपीएन का उपयोग कर बैन को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।अंतरराष्ट्रीय चिंता और स्थानीय समर्थनकाठमांडू के मेयर बालेन शाह ने प्रदर्शन का खुलकर समर्थन किया है, जबकि विपक्षी पार्टियों ने इसे “तानाशाही का प्रतीक” करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नेपाल की स्थिति पर चिंता जताई जा रही है, और भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती, तो यह आंदोलन विपक्षी दलों और राजतंत्र समर्थकों के लिए राजनीतिक हथियार बन सकता है।

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