‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला क्या है?
दरअसल लालू प्रसाद यादव यूपीए 1 सरकार में साल 2004 से 2009 तक रेलवे मंत्री थे। इस दौरान लालू के सत्ता में रहते हुए रेलवे में ग्रुप डी की भर्तियां निकाली गईं। इसी भर्ती में लालू पर धांधली का आरोप है। दरअसल लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने नौकरी देने के बदले घूस के रूप में लोगों की जमीन ली। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, लालू परिवार की 7 जगहों पर जमीनें मिली हैं। लालू परिवार पर 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। बता दें कि यह पूरा घोटाला रेलवे की भर्ती से ही संबंधित है। सीबीआई द्वारा इस मामले में लालू के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्यों पर भी केस दर्ज किया गया है। वहीं लालू पर परिजनों के नाम पर नौकरी के बदले बतौर रिश्वत लोगों की जमीनें लेनने का आरोप है। लालू पर यह आरोप भी है कि उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए बिना कोई विज्ञापन जारी किए रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी के लिए कई लोगों की भर्ती की थी।
सस्ते में ली करोड़ों की जमीन
सीबीआई की मानें तो लालू यादव ने रेलवे मंत्री रहने के दौरान जिन लोगों को रेलवे में नौकरी दिलाई, उनसे बतौर रिश्वत जमीनें ली गईं, जो परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर हैं। लालू ने पत्नी राबड़ी, बेटी मीसा समेत कई परिजनों के नाम पर इन प्लॉट्स को लिया। सीबीआई के मुताबिक नौकरी देने के एवज में लालू ने 12 लोगों से 7 प्लॉट सस्ते में या बिना कुछ दिए ही हासिल कर लिए। लालू पर आरोप है कि उन्होंने इस घोटाले में उन्होंने केवल बिहार के ही लोगों की नौकरी दी और करीब 4 करोड़ की जमीन को मात्र 26 लाख रुपये में ही अपने नाम पर करवा ली। इस मामले में लालू के परिवार के कुल 5 सदस्यों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और हेमा यादव शामिल हैं।