संविधान दिवस 2025: भारत के संविधान की गौरवयात्रा

 

26 नवंबर 2025

 

आज भारत 76वें संविधान दिवस के रूप में मना रहा है। यह वह ऐतिहासिक दिन है जब 1949 में संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान न केवल हमारे लोकतंत्र की नींव है, बल्कि न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों का प्रतीक भी। इस रिपोर्ट में हम संविधान के निर्माण की रोमांचक यात्रा, इससे जुड़े रोचक किस्सों और देशभर में हो रहे कार्यक्रमों पर नजर डालेंगे।

 

संविधान निर्माण की यात्रा: एक ऐतिहासिक सफर

भारतीय संविधान का निर्माण स्वतंत्रता संग्राम की आग में तपकर निकला एक अनमोल दस्तावेज है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने 1945 में भारत के लिए नई नीति घोषित की और कैबिनेट मिशन के माध्यम से संविधान सभा का गठन किया। जुलाई 1946 में सभा के सदस्यों का निर्वाचन हुआ, और पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को सभा ने पूर्ण रूप से कार्य शुरू किया, जिसमें कुल 299 सदस्य थे। इनमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे दिग्गज शामिल थे।

प्रक्रिया में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे। सभा ने 12 अधिवेशन आयोजित किए, जिसमें 166 दिन बैठकें और 114 दिन चर्चाएं हुईं। 26 नवंबर 1949 को संविधान पारित हुआ, और 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। इसका प्रमुख स्रोत भारत सरकार अधिनियम 1935 था, जिसमें से लगभग 250 अनुच्छेद लिए गए। अन्य देशों के संविधानों से भी प्रेरणा ली गई – जैसे अमेरिका से मौलिक अधिकार, आयरलैंड से नीति-निर्देशक तत्व।प्रमुख चरणों की समयरेखा

चरण तिथि/समयावधि महत्वपूर्ण घटना
संविधान सभा गठन जुलाई 1946 सदस्यों का निर्वाचन
पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 सभा का उद्घाटन
स्वतंत्रता के बाद कार्य 15 अगस्त 1947 पूर्ण सभा गठन
ड्राफ्टिंग कमिटी गठन 29 अगस्त 1947 डॉ. अम्बेडकर अध्यक्ष
पारित होना 26 नवंबर 1949 अंतिम मसौदा स्वीकृत
लागू होना 26 जनवरी 1950 गणतंत्र दिवस

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की भूमिका: ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में अम्बेडकर ने संविधान को ‘जनता की जरूरतों’ के अनुरूप ढाला। उन्होंने 25 नवंबर 1949 को अंतिम मसौदा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपा। अम्बेडकर को ‘संविधान के पिता’ कहा जाता है, जिन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ मजबूत प्रावधान जोड़े।

संविधान से जुड़े रोचक किस्से: अनसुनी कहानियां

संविधान निर्माण कोई सूखा दस्तावेज नहीं, बल्कि जीवंत संघर्षों की कहानी है। यहां कुछ रोचक किस्से:

  1. दुनिया का सबसे लंबा संविधान: मूल रूप से 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भागों वाला यह संविधान आज 470 अनुच्छेदों वाला है। सभा की बैठकों में जनता और प्रेस को भाग लेने की अनुमति थी, जो लोकतंत्र की भावना को दर्शाता है।
  2. प्रस्तावना की जादुई शुरुआत: “हम भारत के लोग” से शुरू होने वाली प्रस्तावना 42वें संशोधन (1976) से ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों से समृद्ध हुई। यह रूस से प्रेरित मूल कर्तव्यों (अब 11) का आधार बनी।
  3. बंटवारे का दर्द: 1947 के बंटवारे से सभा दो हिस्सों में बंटी – भारत और पाकिस्तान। फिर भी, भारतीय सदस्यों ने एकजुट होकर संविधान तैयार किया, जो एकता का प्रतीक है।
  4. अम्बेडकर का संकल्प: अम्बेडकर ने कहा था, “संविधान की सफलता लोगों और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करती है।” यह किस्सा आज भी प्रासंगिक है।

ये किस्से बताते हैं कि संविधान केवल कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि लाखों सपनों का मेल है।

देशभर में संविधान दिवस के कार्यक्रम

2025 में संविधान दिवस पर देशभर में उत्साह छाया हुआ है। सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों और संस्थाओं में प्रस्तावना का सामूहिक पाठ, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं। X (पूर्व ट्विटर) पर लाखों पोस्ट्स में शुभकामनाएं उमड़ी हैं, जहां लोग #संविधान_दिवस और #ConstitutionDay से जुड़ रहे हैं।प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम

  • संसद भवन, नई दिल्ली: सुबह 11 बजे सेंट्रल हॉल में भव्य आयोजन। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य संवैधानिक पदाधिकारी शामिल। 9 भाषाओं में संविधान का लोकार्पण होगा। यह लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रतिबद्धता का प्रतीक बनेगा। 
  • प्रधानमंत्री का संदेश: पीएम मोदी ने कहा, “संविधान मानव गरिमा, समानता और स्वतंत्रता को महत्व देता है। यह हमें अधिकारों के साथ कर्तव्यों की याद दिलाता है।” X पर उनके पोस्ट को लाखों ने शेयर किया।

राज्य और स्थानीय स्तर पर

  • मध्य प्रदेश: सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूलों में कार्यक्रम। प्रस्तावना का पाठ अनिवार्य।
  • उत्तर प्रदेश: CM योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सेमिनार और जागरूकता अभियान।
  • दिल्ली-एनसीआर: स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताएं और अम्बेडकर पर व्याख्यान।
  • दक्षिण भारत: तमिलनाडु में BJP के स्थानीय आयोजन, जहां अम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी गई।

 

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