राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने 9 सितंबर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल कर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। संसद भवन में सुबह 10 बजे से शुरू हुई मतदान प्रक्रिया के बाद देर शाम घोषित परिणामों में राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट प्राप्त हुए, जबकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से यह ऐतिहासिक जीत दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राधाकृष्णन की जीत पर बधाई देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सी.पी. राधाकृष्णन की जीत भारतीय राष्ट्रवाद और विकसित भारत के संकल्प की जीत है। उनकी अनुभवी नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमता देश के लिए गौरव का विषय है।”
चुनाव का गणित और एनडीए की रणनीति
लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसदों में से एनडीए के पास 422 सांसदों का समर्थन था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 240 लोकसभा और 102 राज्यसभा सांसद शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, वाईएसआरसीपी के 11 सांसदों ने भी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की थी। बहुमत के लिए 391 वोटों की आवश्यकता थी, और राधाकृष्णन ने इसे आसानी से पार कर लिया।
20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और इससे पहले झारखंड, तेलंगाना, और पुडुचेरी के राज्यपाल रह चुके हैं। राधाकृष्णन 16 साल की उम्र से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ से जुड़े रहे हैं। उन्होंने 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीता और 2003 से 2006 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष रहे। उनकी उम्मीदवारी को दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में भाजपा के विस्तार की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
राधाकृष्णन ने 20 अगस्त 2025 को अपना नामांकन दाखिल किया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मुख्य प्रस्तावक बने। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, और एनडीए के अन्य प्रमुख नेता जैसे चिराग पासवान, ललन सिंह, और अनुप्रिया पटेल मौजूद थे। नामांकन से पहले राधाकृष्णन ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
विपक्ष का प्रदर्शन
इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया था। रेड्डी, जो तेलंगाना से हैं, को 300 वोट मिले। हालांकि, विपक्षी गठबंधन एनडीए की तुलना में कमजोर रहा। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दोनों उम्मीदवारों का दक्षिण भारत से होना इस चुनाव को अनूठा बनाता है।