रांची/घाटशिला, 17 अक्टूबर 2025
झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है। आज शुक्रवार को दोनों प्रमुख उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सोमेश चंद्र सोरेन और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बाबूलाल सोरेन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली। नामांकन के दौरान सियासी दिग्गजों ने जमकर जोर-आजमाइश की, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के परिवार के सदस्यों की सक्रियता ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया।
झामुमो के प्रत्याशी सोमेश सोरेन, जो दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन के पुत्र हैं, ने दोपहर करीब 12:15 बजे हेलीकॉप्टर से पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नामांकन दाखिल किया। दाहीगोड़ा सर्कस मैदान में आयोजित विशाल नामांकन सभा में सीएम हेमंत सोरेन ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, “घाटशिला की जनता ने हमेशा आदिवासी हितों की रक्षा करने वालों को चुना है। सोमेश सोरेन विकास और समृद्धि की गारंटी देंगे।” सभा में विधायक कल्पना सोरेन, मंत्री दीपक बिरुआ, विधायक समीर मोहंती और कुणाल षाडंगी जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। झामुमो ने इस अवसर पर अपने 40 स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी की, जिसमें सीएम हेमंत सोरेन को मुख्य प्रचारक बनाया गया है।

दूसरी ओर, भाजपा ने पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारा है। उन्होंने भी आज ही घाटशिला अनुमंडल कार्यालय में नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके नामांकन में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सांसद आदित्य साहू, मुख्य सचेतक नवीन जायसवाल और आजसू प्रमुख सुदेश महतो जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री और अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी ने सभा को भव्य रूप दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बाबूलाल सोरेन पर स्थानीय आदिवासी समुदाय का मजबूत समर्थन है, और भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति ने उन्हें टिकट देकर घाटशिला में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति अपनाई है।

यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित पूर्वी सिंहभूम जिले में आती है, जो झामुमो का पारंपरिक गढ़ रही है। रामदास सोरेन के निधन के बाद रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को निर्धारित है। नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर, स्क्रूटनी 22 अक्टूबर और नाम वापसी की अंतिम तारीख 24 अक्टूबर है। कुल 2,55,823 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, जिसमें हाल ही में 5,171 नए मतदाता जुड़े हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव झारखंड की सियासत में बड़ा संकेत देगा। झामुमो सत्ता पक्ष के रूप में विकास के मुद्दों पर जोर दे रही है, वहीं भाजपा विपक्ष के तौर पर भ्रष्टाचार और आदिवासी अधिकारों पर हमलावर रुख अपनाएगी। दोनों दलों की रणनीति में कार्यकर्ताओं का उत्साह और दिग्गजों की भागीदारी ही निर्णायक साबित होगी।