रामगढ़, झारखंड
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्ध भोज का आयोजन आज उनके पैतृक गांव नेमरा, रामगढ़ में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश भर से लाखों लोग और प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं, जिन्होंने गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। लगभग पांच लाख लोगों के शामिल होने की संभावना के बीच, आयोजन स्थल पर सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नेमरा पहुंचकर शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, “दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की सहजता और सरलता मुझे हमेशा प्रभावित करती थी। बिरसा मुंडा के बाद यदि किसी ने आदिवासी समुदाय के लिए योद्धा की तरह कार्य किया, तो वे शिबू सोरेन थे। उन्होंने अपना जीवन गरीबों और वंचितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।”


प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
श्राद्ध भोज में योग गुरु बाबा रामदेव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, सांसद पप्पू यादव, और पूर्व राज्यसभा सांसद आरके आनंद सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हाल ही में नेमरा पहुंचकर शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी थी। बाबा रामदेव ने कहा, “शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी समाज और झारखंड के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”




पांच लाख लोगों की भागीदारी, व्यापक व्यवस्थाएं
आयोजन में करीब पांच लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी, जिसके लिए पांच बड़े पंडाल बनाए गए थे। पारंपरिक श्राद्ध भोजन और प्रसाद की व्यवस्था के साथ-साथ आदिवासी रीति-रिवाजों का भी पालन किया गया। सुरक्षा के लिए 3,000 पुलिसकर्मी, 10 आईपीएस अधिकारी, 60 पुलिस उपाधीक्षक और 65 निरीक्षक तैनात किए गए। सुगम आवागमन के लिए 300 से अधिक ई-रिक्शा और चार हेलीपैड की व्यवस्था की गई थी, जिसमें तीन हेलीपैड शिबू सोरेन के निवास के पास और एक तीन किलोमीटर दूर बनाया गया।


शिबू सोरेन की स्मृति में प्रदर्शनी
आयोजन स्थल पर शिबू सोरेन के जीवन और योगदान को दर्शाने वाली एक विशेष प्रदर्शनी और स्मृति दीर्घा स्थापित की गई, जिसमें उनकी दुर्लभ तस्वीरें, ऐतिहासिक दस्तावेज और झारखंड आंदोलन में उनके योगदान को प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा, स्क्रीन पर उनकी जीवनी पर आधारित एक छोटी फिल्म भी दिखाई गई, जिसने लोगों को उनके संघर्ष और समर्पण से रूबरू कराया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो अपने पिता के निधन के बाद से 5 अगस्त से नेमरा में ही हैं, ने सभी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया। उन्होंने संथाल समाज के साथ बैठक कर श्राद्ध कर्म की तैयारियों को अंतिम रूप दिया और भोजन व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया।
शिबू सोरेन का योगदान
81 वर्षीय शिबू सोरेन, जिन्हें ‘गुरुजी’ के नाम से जाना जाता था, का निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हुआ था। झारखंड आंदोलन के प्रणेता और आदिवासी समुदाय के मसीहा के रूप में उनकी पहचान थी। उनके निधन से एक युग का अंत माना जा रहा है, जिसने झारखंड के निर्माण और आदिवासी कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।