दिप्हू/गुवाहाटी, 24 दिसंबर 2025
असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में आदिवासी भूमि से कथित अतिक्रमणकारियों को हटाने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन मंगलवार को एक बार फिर हिंसक हो गया। खेरोनी क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों के दो गुटों के बीच झड़प हो गई, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस ताजा हिंसा में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 45 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें 38 पुलिसकर्मी शामिल हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मरने वालों में एक दिव्यांग युवक शामिल है, जिसका शव आग लगाई गई इमारत से बरामद हुआ, जबकि दूसरा व्यक्ति झड़प के दौरान मारा गया। घायलों में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी हैं, जिन पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थर, तीर और क्रूड बम फेंके। हिंसा के दौरान कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

यह हिंसा सोमवार को शुरू हुई थी, जब प्रदर्शनकारियों ने कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलिराम रोंगहांग के पैतृक घर को आग लगा दी थी और खेरोनी बाजार में कई दुकानों में तोड़फोड़ की थी। प्रदर्शन की जड़ लंबे समय से चली आ रही मांग है, जिसमें कार्बी आदिवासी संगठन व्यावसायिक चराई आरक्षित (PGR) और ग्राम चराई आरक्षित (VGR) भूमि से कथित अवैध अतिक्रमणकारियों (मुख्य रूप से बिहारी और नेपाली मूल के परिवारों) को बेदखल करने की मांग कर रहे हैं। ये भूमियां संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी समुदायों के लिए संरक्षित हैं।

पिछले दो सप्ताह से फेलांगपी में नौ प्रदर्शनकारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे। सोमवार को उन्हें हटाए जाने के बाद अफवाहें फैलीं, जिससे हिंसा भड़क उठी। मंगलवार को कैबिनेट मंत्री रानोज पेगू ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और भूख हड़ताल समाप्त कराने में सफल रहे। उन्होंने 26 दिसंबर को राज्य सरकार, KAAC और प्रदर्शनकारियों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन दिया।
तनाव को देखते हुए कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई हैं, ताकि अफवाहें फैलने से रोका जा सके। हालांकि, वॉयस कॉल और फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं। दोनों जिलों में BNSS की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है, जिसमें पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है। अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि वे स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह बहुत संवेदनशील मामला है। मंत्री रानोज पेगू मौके पर हैं और जल्द समाधान निकलेगा।”
अधिकारियों का कहना है कि बुधवार सुबह तक कोई नई हिंसा की सूचना नहीं है, लेकिन क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि अन्य जिलों में अतिक्रमण हटाने के अभियान चल रहे हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में देरी से नाराजगी है। वहीं, सरकार का कहना है कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के कारण प्रक्रिया रुकी हुई है। यह घटना असम के आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिकारों और पहचान से जुड़े गहरे मुद्दों को उजागर करती है। वार्ता से समाधान की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।