तिरुवनंतपुरम, 4 अक्टूबर 2025
मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के बाद केरल सरकार ने भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में नौ बच्चों की मौत और राजस्थान में दो अन्य मामलों से जुड़े संदिग्ध कफ सिरप के कारण उठाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने शनिवार को घोषणा की कि राज्य के ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने तत्काल प्रभाव से इस सिरप की बिक्री रोक दी है, भले ही जांच में पाया गया कि संदिग्ध बैच केरल में बेचा नहीं गया। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 7 सितंबर से अब तक नौ बच्चे संदिग्ध किडनी फेलियर से मर चुके हैं, जिन्हें कोल्ड्रिफ सिरप देने के बाद लक्षण बिगड़ गए। राजस्थान में दो अन्य बच्चों की मौत डेक्सट्रोमेथॉर्फन आधारित सिरप से जुड़ी बताई जा रही है। यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के एक फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा निर्मित है।
- मध्य प्रदेश में बैन: 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्यव्यापी प्रतिबंध लगाया और कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी रोक लगाई। उन्होंने तमिलनाडु सरकार से जांच की मांग की।
- तमिलनाडु में कार्रवाई: 1 अक्टूबर से प्रभावी बैन के साथ उत्पादन रोक दिया गया। राज्य के ड्रग टेस्टिंग लैबोरेटरी ने बैच नंबर SR-13 को “गैर-मानक गुणवत्ता” वाला पाया, जिसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मिलावट थी – एक जहरीला रसायन जो किडनी को नुकसान पहुंचाता है। कंपनी के प्लांट पर छापा मारा गया और स्टॉक जब्त किया गया।
- केरल में प्रतिबंध: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “अन्य राज्यों की रिपोर्टों के आधार पर सावधानी बरतते हुए बिक्री निलंबित की गई है।” जांच में पाया गया कि संदिग्ध बैच केरल में उपलब्ध नहीं था, लेकिन सुरक्षा के लिए सभी बैचों पर रोक लगाई गई। सिरप और अन्य कफ सिरप के सैंपल परीक्षणाधीन हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि परीक्षणों में डीईजी या ईजी (एथिलीन ग्लाइकॉल) की मौजूदगी नहीं पाई गई, लेकिन बच्चों के रक्त और मस्तिष्क द्रव के सैंपल में लेप्टोस्पायरोसिस जैसे संक्रमण मिले। फिर भी, राज्यों ने सतर्कता बरतते हुए बैन लगाया।स्वास्थ्य जोखिम और विशेषज्ञों की रायकोल्ड्रिफ सिरप में पैरासिटामॉल, फेनिलेफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड और क्लोरफेनिरामाइन मेलेट जैसे तत्व हैं, जो सामान्य सर्दी-खांसी के लिए उपयोग होते हैं। लेकिन मिलावटी DEG से किडनी फेलियर, उल्टी और दौरा जैसे लक्षण हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह दी जाती है।
कांग्रेस नेता कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में “ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट” की मिलावट को मौतों का कारण बताया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को 2 वर्ष से कम बच्चों को कफ-कोल्ड दवाएं न देने का सलाह जारी की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), NIV पुणे और CDSCO की संयुक्त जांच शुरू की।