रांची,
झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का, उनकी पत्नी मेनन एक्का और सात अन्य लोगों को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) के उल्लंघन के 15 साल पुराने मामले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सभी दोषियों को फैसले के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एनोस एक्का, सिमडेगा के आदिवासी नेता हैं और 2005 से 2008 तक अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा की सरकारों में मंत्री रहे। सीबीआई ने यह मामला 2010 में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया था, जो 2008 और 2009 में दायर जनहित याचिकाओं पर आधारित था।
मामले का विवरण
सीबीआई की जांच में सामने आया कि मार्च 2006 से मई 2008 के बीच एनोस एक्का ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग कर फर्जी पतों और बेनामी लेनदेन के जरिए आदिवासी जमीनों को अवैध रूप से हासिल किया। इन जमीनों में हिनू में 22 कट्ठा, ओरमांझी में 12 एकड़, नेवरी में 4 एकड़ और सिरम टोली में 9 डिसमिल जमीन शामिल हैं, जो उनकी पत्नी मेनन एक्का के नाम पर खरीदी गई थीं। सीबीआई के अनुसार, तत्कालीन भूमि सुधार उप समाहर्ता (LRDC) कार्तिक कुमार प्रभात और अन्य सरकारी अधिकारियों ने इस अवैध लेनदेन में सहयोग किया। यह लेनदेन CNT एक्ट 1908 का स्पष्ट उल्लंघन था, जो आदिवासियों की जमीन को गैर-आदिवासियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाता है।
दोषी और सजा
अदालत ने एनोस एक्का, मेनन एक्का, कार्तिक प्रभात, राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर, बृजेश मिश्रा, अनिल कुमार, मनीलाल मेहता, बृजेश महतो और परशुराम कर्केता को दोषी ठहराया। एक अन्य आरोपी, गोवर्धन बैठा, को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। सजा की घोषणा 30 अगस्त 2025 को की गई।