लेह, 24 सितंबर 2025
लद्दाख को पूर्ण राज्य और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर बुधवार को प्रदर्शन हिंसक हो गया। लेह शहर में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 से अधिक लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और एक पुलिस वाहन को आग लगा दी, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया है, और पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
घटना का पूरा विवरण
लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) की युवा इकाई द्वारा बुलाए गए शटडाउन के दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारी लेह के बीजेपी कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए। वे केंद्र सरकार से पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची की मांगों पर तत्काल बातचीत की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 10 सितंबर से चल रही भूख हड़ताल में शामिल दो वृद्ध प्रदर्शनकारियों की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जिससे आक्रोश भड़क गया।
झड़प तब शुरू हुई जब कुछ युवा प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस को फायरिंग का सहारा लेना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय पर हमला किया, उसे आग लगा दी और बाहर खड़े एक सिक्योरिटी वाहन को भी जला दिया। लेह के डीएम ने बताया कि अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं।
प्रदर्शनकारियों का दावा है कि चारों मौतें पुलिस फायरिंग में हुईं, जबकि अधिकारियों ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। घायलों को लेह के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
कर्फ्यू और प्रतिबंध
हिंसा के बाद लेह जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 163 के तहत तत्काल कर्फ्यू लगा दिया। आदेश में कहा गया है कि लेह में पांच या इससे अधिक लोगों का जमावड़ा प्रतिबंधित है। कोई भी जुलूस, रैली या मार्च बिना पूर्व लिखित अनुमति के नहीं निकाला जा सकता। इंटरनेट सेवाओं पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं ताकि अफवाहें न फैलें।
आंदोलन का पृष्ठभूमि
लद्दाख को अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग करके एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। तब से LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) जैसे संगठन राज्यhood, छठी अनुसूची में शामिल करने (जो आदिवासी क्षेत्रों को संरक्षण देती है) और जमीन व नौकरियों में स्थानीय आरक्षण की मांग कर रहे हैं। प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक 10 सितंबर से 15 दिनों की भूख हड़ताल पर थे, जो बुधवार को हिंसा के बीच समाप्त कर दी। वांगचुक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी कर युवाओं से शांति बनाए रखने और हिंसा बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा, “मैं नहीं चाहता कि और परेशानी हो। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें मनवाएंगे।” LAB ने 6 अक्टूबर को केंद्र के साथ होने वाली बातचीत को आगे बढ़ाने की मांग की है। कई संगठनों ने हिंसा की निंदा की है। कारगिल डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता सजाद कारगिली ने कहा, “सरकार को संवाद फिर शुरू करना चाहिए और लद्दाख की मांगों को पूरा करना चाहिए। लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।” केंद्र सरकार ने स्थिति पर नजर रखने का भरोसा दिलाया है। लेह में वार्षिक लद्दाख महोत्सव का अंतिम दिन रद्द कर दिया गया।अधिकारी इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं और घायलों का इलाज जारी है। यह घटना लद्दाख के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े करती है, जहां स्थानीय लोग अपनी पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।