नई दिल्ली, 23 दिसंबर 2025
साल 2026 भारतीय राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है। जहां एक ओर पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और असम जैसे प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहीं राज्यसभा की कुल 73 सीटों (एक सीट पहले से खाली) के लिए द्विवार्षिक चुनाव भी तय हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की 10 और बिहार की 5 सीटें शामिल हैं, जो मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकती हैं। भाजपा नीत एनडीए (NDA) और कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन (INDIA) के बीच ऊपरी सदन में बहुमत की जंग और तेज हो सकती है, खासकर विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर। विश्लेषकों का मानना है कि अगर एनडीए प्रमुख राज्यों में अपनी पकड़ बनाए रखता है, तो राज्यसभा में उसकी ताकत और बढ़ सकती है।
राज्यसभा की मौजूदा स्थिति: एनडीए का दबदबा
वर्तमान में राज्यसभा की कुल 245 सीटों में से भाजपा के पास 103 सीटें हैं, जो सदन की सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के पास 27, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पास 13, आम आदमी पार्टी (AAP) के पास 10, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के पास 10, बीजू जनता दल (BJD) के पास 7, नामांकित सदस्यों के पास 7, वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) के पास 5 और अन्नाद्रमुक (AIADMK) के पास 5 सीटें हैं। एनडीए गठबंधन की कुल ताकत करीब 125-130 के आसपास है, जबकि इंडिया गठबंधन की सीटें 100 से थोड़ी ऊपर हैं। कुछ सीटें खाली हैं, जिससे बहुमत का आंकड़ा 123 रहता है। एनडीए फिलहाल बहुमत से थोड़ा ऊपर है, लेकिन 2026 के चुनाव इस संतुलन को हिला सकते हैं।
2026 में रिटायर होने वाली सीटें: बड़ा फेरबदल का मौका
2026 में राज्यसभा के 73 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिसमें एनडीए से जुड़े 40, इंडिया गठबंधन से 22, अन्य दलों से 10 और एक सीट पहले से खाली है।
इन सीटों का राज्यवार बंटवारा इस प्रकार है:
| राज्य | रिटायर सीटें | मौजूदा होल्डर पार्टियां (मुख्य) |
| उत्तर प्रदेश | 10 | भाजपा (7), सपा (2), बसपा (1) |
| महाराष्ट्र | 6 | शिवसेना (3), एनसीपी (2), अन्य (1) |
| बिहार | 5 | जद(यू) (2), राजद (2), भाजपा (1) |
| पश्चिम बंगाल | 5 | टीएमसी (4), भाजपा (1) |
| तमिलनाडु | 6 | डीएमके (4), एआईएडीएमके (2) |
| केरल | 3 | सीपीआई(एम) (2), कांग्रेस (1) |
| असम | 3 | भाजपा (2), अन्य (1) |
| अन्य राज्य (कर्नाटक, आंध्र, आदि) | शेष | मिश्रित (एनडीए और इंडिया) |
ये चुनाव अप्रैल से नवंबर तक विभिन्न चरणों में होंगे। प्रमुख नामों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई, एनसीपी (एसपी) के शरद पवार, जेडी(एस) के देवेगौड़ा और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी जैसे दिग्गज शामिल हैं, जिनके रिटायरमेंट से राजनीतिक गलियारों में हलचल मची है।
एनडीए और इंडिया गठबंधन के नए समीकरण: विधानसभा चुनाव होंगे निर्णायक
राज्यसभा चुनावों में सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है, इसलिए 2026 के विधानसभा चुनाव सीधे ऊपरी सदन को प्रभावित करेंगे। अगर मौजूदा विधानसभा संरचना पर आधारित चुनाव होते, तो एनडीए को 49 सीटें मिल सकती थीं, जबकि इंडिया गठबंधन को 20-22। लेकिन विधानसभा चुनावों से ये आंकड़े बदल सकते हैं।
- उत्तर प्रदेश (10 सीटें): मौजूदा विधानसभा में भाजपा का बहुमत है। अगर 2027 के चुनाव से पहले कोई बदलाव नहीं, तो एनडीए यहां 7-8 सीटें बरकरार रख सकता है। लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन मजबूत हुआ तो इंडिया को 2-3 अतिरिक्त मिल सकती हैं।
- बिहार (5 सीटें): हालिया विधानसभा चुनावों में एनडीए की बड़ी जीत से यहां सभी 5 सीटें एनडीए के पाले में जा सकती हैं। राजद-कांग्रेस गठबंधन की कमजोरी से इंडिया को नुकसान।
- पश्चिम बंगाल (5 सीटें): टीएमसी की ममता बनर्जी सरकार अगर फिर सत्ता में आती है, तो इंडिया गठबंधन को सभी सीटें मिल सकती हैं। लेकिन भाजपा की बढ़ती ताकत से एनडीए 1-2 सीटें छीन सकता है।
- केरल (3 सीटें): एलडीएफ (सीपीआई(एम)) और यूडीएफ (कांग्रेस) के बीच जंग। इंडिया गठबंधन यहां मजबूत है, लेकिन एनडीए की एंट्री से बदलाव संभव।
- तमिलनाडु (6 सीटें): डीएमके नीत गठबंधन की मजबूत पकड़ से इंडिया को फायदा। एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन अगर टूटा, तो एनडीए को नुकसान।
- असम (3 सीटें): भाजपा की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार अगर दोबारा जीती, तो एनडीए को सभी सीटें। कांग्रेस की कमजोरी से इंडिया को झटका।
कुल मिलाकर, अगर एनडीए असम और बिहार में अपनी जीत दोहराता है और यूपी में पकड़ बनाए रखता है, तो राज्यसभा में उसकी सीटें 130 से ऊपर पहुंच सकती हैं, जिससे विधेयकों को पास कराना आसान होगा। वहीं, इंडिया गठबंधन को पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में जीत से 25-30 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन कुल बहुमत से दूर रह सकता है। हालांकि, गठबंधनों में बदलाव (जैसे BJD या YSRCP का एनडीए से जुड़ना) समीकरण उलट सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक, “2026 के चुनाव एनडीए के लिए सुनहरा मौका हैं, लेकिन इंडिया गठबंधन अगर एकजुट रहा तो सदन में संतुलन बना सकता है।” चुनाव आयोग ने अभी तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन तैयारी शुरू हो चुकी है। यह साल न केवल विधानसभा स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़े बदलाव ला सकता है।