क्यों नाराज है हिजला गांव के संताल ग्रामीण, कर रहे विरोध! जबकि गांव के पास आयोजित हिजला मेले में मनाया जा रहा है जश्न

 

दुमका(स.प.)

135 वर्ष पुराना ऐतिहासिक राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव दुमका प्रखंड के हिजला गांव में हर वर्ष आयोजित होती है. जो 21 फ़रवरी से 28 फरवरी तक आयोजित है. जिसका उद्घाटन स्वंय हिजला गांव के मंझी बाबा(ग्राम प्रधान) सुनीलाल हांसदा ने किया है. आज हिजला गांव में हिजला गांव के मंझी बाबा(ग्राम प्रधान) के अध्यक्षता में हिजला गांव के ग्रामीण और विभिन्य आदिवासी संगठनो ने कुल्ही दुरूफ(बैठक) किया. इस वर्ष मेला समिति के रवैया से स्वंय हिजला गांव के ग्रामीणों के साथ-साथ आदिवासी सामजिक संगठनो ने नाराजगी व्यक्त किया. ग्रामीणों और सभी संगठनो ने कहा कि आदिवासी के नाम पर मेला हो रहा है, लेकिन कंही भी मेला समिति के द्वारा संताली में बैनर और तोरण द्वार नही लगाया गया. जबकि इसके पूर्व वर्ष में लगाया गया था. यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. ग्रामीणों और संगठनो का यह कहना है कि हिजला गांव के ग्रामीण और विभिन्न सामाजिक संगठनो ने तोरण द्वार और बैनर आदि में संताली के ओलचिकी लिपि से भी लिखने का लिखित आवेदन मेला समिति को पूर्व में ही दे चुके है. उसके बाद भी नही होना पुरे आदिवासी समाज का अपमान है. मेला समिति के 27-01-2025 के आयोजन संबंधित बैठक की कार्यवाही में भी यह निर्देश दिया गया था कि सभी तोरण द्वार ओलचिकी स्क्रिप्ट/लिपि से लिखा जाय. इसके आलोक में सभी तोरण द्वार में हिंदी और संताली ओलचिकी लिपि से लाइट डिस्प्ले कर लिखा गया था. लेकिन मेला शुरू होने के एक दिन पूर्व ही रातों-रात उसे हटा दिया गया. ग्रामीणों और संगठनो का कहना है कि ऐसा प्रतित हो रहा है कि मेला समिति किसी अन्य के दबाव में काम कर रही है. उसके साथ-साथ हिजला मेला के जितने भी होडिंग/बैनर लगाये गये है सभी में संताल आदिवासी के पूज्य स्थल मरांग बुरु थान का कई वर्ष पुराना पोआल छावनी वाला फोटो लगाया गया है. मेला शुरू होने से मरांग बुरु कि पूजा होती है. उद्घाटन के बाद सभी अधिकारी भी पूजा करते है. ज्ञात हो दो वर्ष पहले दुमका के विधायक व पूर्व मंत्री बसन्त सोरेन के प्रयास से कच्चे थान के जगह संगमरमर का थान बना है, लेकिन जन संपर्क और मेला समिति के लापरवाही से आदिवासीयो के मरांग बुरु देवता का अपमान हुआ है और कही ना कही विधायक और सरकार के विकास के कार्य को कम आकने का काम किया गया है. ग्रामीण और सभी आदिवासी संगठनो का मेला समिति से मांग है कि सभी बैनरो/पोस्टरो में लगी मरांग बुरु थान का तस्वीर बदला जाय,वर्तमान तस्वीर लगाया जाय और सभी तोरण द्वार और अन्य में ओलचिकी लिपि से भी लिखा जाय. अगर जल्द मेला समिति ऐसा नही करती है तो सभी ग्रामीण और आदिवासी संगठन जमकर विरोध करेगे. इस मौके में हिजला गांव के ग्रामीण दिलीप सोरेन,गणेश हांसदा,अनिल टुडू,लाल हांसदा,मारग्रेट हांसदा,सोना सोरेन,मनोती हेम्ब्रम,पतामुनि सोरेन,स्वीटी सोरेन,लूली हांसदा,एमेल मरांडी,रुबिलाल हांसदा,संजय हांसदा,आजु हांसदा,लुखिराम हांसदा,विभीषण हांसदा,सोम हांसदा,प्रकाश सोरेन,संतोष हेम्ब्रम,सुनील सोरेन,सोनोत हांसदा के साथ-साथ कई आदिवासी संगठनो के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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