रांची
शनिवार को स्टेन स्वामी की स्मृति दिवस का आयोजन बग़ैचा, नामकुम में किया गया। आज से चार वर्ष पूर्व उनकी UAPA के झूठे आरोप के पश्चात तलोजा जेल में संस्थागत मृत्यु हुई थी। चर्चा का विषय “संवैधानिक अधिकार और जमीनी हकीकत” था। 150 से अधिक लोग इस बैठक में जुड़े और मानवाधिकार हनन पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत स्टैन स्वामी की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर के की गई। उसके बाद थियेटर आर्टिस्ट प्रणव मुखर्जी ने एक मोनो एक्ट के जरिए अपनी आवाज़ उठाने का संदेश दिया। छत्तीसगढ़ की स्थिति सोनी सोरी की एक वीडियो द्वारा साझा किया गया, जिसमे वो ऑपरेशन कगार पर अपनी चिंता व्यक्त करती हैं। झारखंड की एलिना होरो ने नक्सल बता कर लोगों की फर्जी गिरफ्तारी पर चर्चा की। उन्होंने सभी संगठनों को एकजुट होकर काम करने के लिए आग्रह किया। अलोका कुजूर झारखंड में मिलिटराइजेशन, फेक एनकाउंटर, और फर्जी गिरफ्तारी के समस्या के खिलाफ जुट कर संगठित रूप में बुलंद आवाज़ उठाने की बात रखी। उड़ीसा के साथी लेनिन ने नियमगिरि की समस्याओं पर रोशनी डाला, वहीं शहीद भगवान सोय की मां सोनी सोय ने कलिंगनगर की समस्याओं को बताया। खुले सत्र में प्रवीर पीटर ने उमर खालिद, गुलफ़िशा फातिमा के जेल में होने पर चिंता जाहिर की। बिरसा ब्रिगेड के अर्जुन कुमार पूर्ति ने जमीन के संघर्ष में युवाओं को भाग लेने के प्रोत्साहित किया।
जे एन यू के छात्र दीपांकर ने अस्तित्व की बात रखी, ज्योतिबा फुले को याद किया। किरण ने आंदोलन में जेंडर की बात को न भूलने के लिए आग्रह किया। अन्य लोगों ने भी अपनी बात रखी। मांडर के समूह ‘विंग्स ऑफ छोटानागपुर’ ने नगाड़ा और मांदर पर गीतों की प्रस्तुति की। बैठक की अध्यक्षता भारत भूषण चौधरी ने की। संचालन याकूब कुजूर, सिस्टर लीना, दीप्ति मेरी मिंज और पल्लवी प्रतिभा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पीटर मार्टिन ने किया। कार्यक्रम का आयोजन झारखंड जनाधिकार महासभा और बग़ैचा द्वारा किया गया था।