देश के आजादी के 78 वर्ष बाद भी आदिवासी गांव तक नहीं पहुंची पक्की सड़क, ग्रामीण जनप्रतिनिधि-प्रशासन से नाराज

दुमका(स.प.)

देश के आजादी के 78 वर्ष और झारखण्ड राज्य के 25 वर्ष होने के बाद भी जामा प्रखंड के आदिवासी गांव पलासबनी का भालुकसुगिया टोला पक्की सड़क मार्ग से नही जुड़ पाया है. इस टोला में करीब पन्द्रह घर है. पलासबनी गांव के ही बाँध टोला में पक्की सड़क पहुची हुई है जो भालुकसुगिया टोला से करीब एक किलोमीटर दुरी पर स्थित है. पक्की सड़क नही होने के कारण ग्रामीणों को बहुत कठिनाईयो का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी हो या बरसात, एम्बुलेंस टोला तक नही पहुच पाती है. जिस कारण रोगी, गर्भवती को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है, एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद ही एम्बुलेंस का सेवा उपलब्ध होती है. शादी-विवाह या किसी अन्य बड़ा कार्यक्रम का आयोजन होने पर छोटी और बड़ी गाड़ी को एक किलोमीटर दूर में रख कर पैदल जाना पड़ता है.  वर्षा के मौसम में सायकिल,मोटरसायकिल का चलना भी मुश्किल हो जाता है. यहाँ तक कि पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. वर्षा में चप्पल पहनकर पैदल चला ही नही जा सकता है. भालुकसुगिया टोला सड़क मार्ग से नही जुड़ा होने के कारण बच्चों के शिक्षा पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. बच्चों को आंगनबाड़ी और स्कूल जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि करीब बीस वर्ष पूर्व मिट्टी मोहरम किया गया था और पुल पुलिया बनाया गया था, उसके बाद सरकार-प्रशासन,जनप्रतिनिधियों ने कोई सुध नही लिया. उसके बाद भी ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधि,प्रशासन से पक्की सड़क का गुहार करते रहे, लेकिन अब तक एक किलोमीटर पक्की सड़क नही बन पाया.

ग्रामीण सरकार,प्रशासन,जनप्रतिनिधियों से तंज कसते हुए सवाल कर रहे है कि क्या एक किलोमीटर पक्की सड़क के लिय सरकार के पास पैसा नही है ? ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब भी चुनाव आता है तो सभी उम्मीदवार यह आश्वासन देते है कि चुनाव बाद पक्की सड़क बना दिया जायेगा, लेकिन इतने वर्षो से उम्मीदवारो के जितने के बाद भी पक्की सड़क नही बनाया जा रहा है. जनप्रतिनिधि और प्रशासन से सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नही मिल रहा है. इससे ग्रामीण सरकार,प्रशासन,जनप्रतिनिधियों से काफी नाराज है. अगर जल्द ही टोला को पक्की सड़क से नही जोड़ा जाता है तो ग्रामीण एकजुट होकर आन्दोलन करने के लिय बाध्य होगे. इस मौके में सचिन किस्कू,मोलिन मुर्मू,मिसिल टुडू,राम दास टुडू,रसिक सोरेन,प्रबोध सोरेन,कोलोम मुर्मू,सुनील टुडू,बहामुनी हेम्ब्रोम,सावंती टुडू,सुनीता सोरेन,सुमित्रा हांसदा,क्यारी मुर्मू,आरोती हेम्ब्रोम,सरिता सोरेन,मर्शिला टुडू आदि उपस्थित थे.

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