दुमका रेलवे स्टेशन के नाम पट्ट पर लिखा हिंदी, अंग्रेजी एवं क्षेत्रीय संताली भाषा के ओल चिकीलिपि में लिखे गए नाम पट्ट (साइन बोर्ड) को बीती रात असामाजिक तत्वों द्वारा मिटा दिया गया है.इसको लेकर आदिवासी संगठनो और आदिवासी समाज में काफी आक्रोश व्यक्त है.आदिवासी समाज और संगठनो का कहना है कि यह कृत्य न केवल संताली भाषा,लिपि और आदिवासी संस्कृति का अपमान करता है, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं के सम्मान और संवैधानिक अधिकारों पर भी सीधा आघात है.आज सभी सामाजिक संगठन समान्वयक प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर दुमका रेलवे स्टेशन प्रबंधक को लिखित आवेदन देकर मांग किया है कि दोषियों के विरुद्ध FIR दर्ज किया जाय और इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को जल्द से जल्द चिन्हित कर कठोर कार्रवाई किया जाय. इसके साथ-साथ यह भी मांग किया गया है कि दुमका रेलवे स्टेशन के नाम पट्ट पर पुनः क्षेत्रीय आदिवासी संताली भाषा के ओलचिकी लिपि से भी स्टेशन का नाम लिखा जाय और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी निगरानी और सुरक्षा कड़ी की जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. सभी आदिवासी सामाजिक संगठन समान्वयक प्रतिनिधि मंडल ने इस विषय पर सरकार, रेलवे प्रशासन और स्थानीय प्रशासन से तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है. यदि इस पर उचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो आदिवासी समाज आंदोलन और बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिय मजबूर होगा. क्योकि यह केवल एक भाषा,लिपि या साइन बोर्ड की बात नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान, संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का विषय है. संगठन ने X पर रेलमंत्री को भी ट्वीट कर कार्यवाही करने का मांग किया है.इस मौके पर सुभाष किस्कू, परेश मुर्मू, सोनाधन बेसरा, बलदेव सोरेन, संजय किस्कू, पिंटू हांसदा, दास सोरेन, महेश हेंब्रम, सुनील टुडू, महेंद्र हेंब्रम, कमीशनर मुर्मू, रधुनाथ मरांडी, सुंदर हांसदा,हेमलाल बास्की, सुरथ मुर्मू, सोनेलाल मुर्मू, रमेश टुडू, धर्मेंद्र मुर्मू , मानवेल हंसदा, लखीराम हांसदा, ऐमेल मरांडी, सुनील मरांडी आदि उपस्थित थे।
दुमका रेलवे स्टेशन के साइन बोर्ड में संताली भाषा के ओलचिकी लिपि से लिखा रेलवे स्टेशन का नाम मिटाये जाने पर आदिवासी समाज में रोष और आक्रोश
