केंद्र सरकार ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता (DGP Anurag Gupta) के 30 अप्रैल के बाद सेवा विस्तार पर रोक लगा दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त करने से जुड़ा पत्र राज्य सरकार को भेजा है। अनुराग गुप्ता की सेवानिवृति 30 अप्रैल को ही निर्धारित है। केंद्र ने झारखंड सरकार को साफ कहा है कि अनुराग गुप्ता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। ऐसे में मंत्रालय के पत्र के बाद अब उनके पद पर बने रहने को लेकर संशय उत्पन्न हो गया है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विदेश से लौटने के बाद राज्य सरकार इस पर निर्णय लेगी। बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है, जिस पर 19 जून को सुनवाई होगी।
2 फरवरी, 2025 को नियमित पुलिस महानिदेशक बनाया गया
नियमों के मुताबिक, डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। यदि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति 26 जुलाई 2024 से मानी जाती है, तो उनका कार्यकाल 26 जुलाई 2026 तक रहेगा। वहीं, यदि नियुक्ति 28 नवंबर 2024 से मानी जाती है, तो कार्यकाल 28 नवंबर 2026 तक निर्धारित होगा। झारखंड सरकार ने 2 फरवरी, 2025 को अधिसूचना जारी कर अनुराग गुप्ता (DGP Anurag Gupta) को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए राज्य का नियमित पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था। इसके पहले उन्हें 26 जुलाई 2024 को राज्य का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। इसके अलावा उन्हें आपराधिक अन्वेषण विभाग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।वर्ष 2024 में विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने उन्हें इस पद से हटा दिया था और 1989 बैच के आईपीएस अजय सिंह को डीजीपी नियुक्त किया था। बाद में, चुनावी प्रक्रिया संपन्न होते ही राज्य सरकार ने 28 नवंबर को एक बार फिर अनुराग गुप्ता (DGP Anurag Gupta) को कार्यवाहक डीजीपी के रूप में बहाल कर दिया था। इसके बाद 2 फरवरी, 2025 को सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में उन्हें नियमित पुलिस महानिदेशक बनाया गया।
सरयू राय ने डीजीपी पद पर बनाए रखने के फैसले को गलत करार दिया
इधर इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी का भी दौर शुरू हो गया है। जदयू विधायक सरयू राय ने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया है कि केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल के बाद डीजीपी पद पर बनाए रखने के फैसले को गलत करार दिया है। केंद्र ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि गुप्ता को निर्धारित तिथि पर सेवानिवृत्त किया जाए। वहीं, राजद के प्रदेश महासचिव कैलाश यादव ने केंद्र सरकार के फैसले को राज्यहित के खिलाफ बताते हुए कहा कि अनुराग गुप्ता ने भाजपा की सोच के खिलाफ काम किया और उन्होंने नक्सलवाद और अफीम की अवैध खेती के खिलाफ बड़ी कामयाबी दिलाई है, इसलिए उन पर कार्रवाई हो रही है।