रांची/दिल्ली
झारखण्ड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने शुक्रवार दो अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं कोयला मंत्री श्री किशन रेड्डी से मुलाकात कर झारखण्ड के कोयला उत्खन्न क्षेत्र में 1 लाख 36 लाख करोड़ बकाये राशि के लिए केन्द्र से की गई मांग को लेकर लिखित स्मार पत्र देकर बकाया राशि का भुगतान करने का आग्रह किया। केंद्रीय कोयला मंत्री श्री रेड्डी ने कोयला मंत्रालय के अपर सचिव श्रीमती स्मिता प्रधान को बुलाकर निर्देश दिया कि यथाशीघ्र भारत सरकार के कोयला मंत्रालय तथा झारखंड सरकार के खनन मंत्रालय के अधिकारियों की टीम गठित कर सौहार्दपूर्ण बैठक कर वास्तविक बकाए की राशि की गणना करें ताकि कोयला उत्खनन के शीर्ष में झारखंड को बकाया राशि का भुगतान किया जा सके।
स्मार पत्र में दिया गया है हिसाब
वित्त मंत्री को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि झारखण्ड खनिज संपदाओं का प्रदेश है। झारखण्ड के राजस्व की निर्भरता का मुख्य स्रोत खान-खनिज है। कोल माइनिंग से लगभग 70-80% राजस्व की प्राप्ति होती है।
ज्ञातव्य है कि कोल उत्खनन प्रक्षेत्र में धुले कोयले की रॉयल्टी का बकाया रू. 2,900 करोड़, किसी भी कंपनी की पर्यावरण मंजूरी सीमा तक पहुंच में उत्खनित खनिज की कीमत पर बकाया रू. 32,000 करोड़ एवं भूमि अधिग्रहण संबंधी बकाया रू. 1,01,142 करोड़ है। कुल मिलाकर 1,36,042 करोड़ बकाया है।
अनुदान की राशि में कटौती
केंद्र सरकार के द्वारा झारखण्ड को प्राप्त होने वाली सहायता अनुदान की राशि (ग्रांट्स इन ऐड) में वर्ष-वार कमी होती गयी है। वर्ष 2019-20 में 12302.67 करोड़ रू., वर्ष 2020-21 में 11993.31 करोड़ रू., वर्ष 2021-22 में 10666.85 करोड़ रू., वर्ष 2022-23 में 10893.54 करोड़ रू., वर्ष 2023-24 में 9146.26 करोड़ रू., वर्ष 2024-25 में 16961.35 करोड़ की राशि के विरुद्ध दिसंबर 2024 तक झारखण्ड को मात्र 4808.89 करोड़ रू. ही प्राप्त हुए। इसके अतिरिक्त वर्ष 2024-25 में झारखण्ड राज्य के लिए सहायता अनुदान अनुमानित निर्धारित लक्ष्य 16961.35 करोड़ की शेष राशि 12152.46 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की मांग की गयी है।