मसलिया गांव में संताल आदिवासियों का माघ बोंगा(माघ पूजा) सम्पन्न हुआ

दुमका(स. प.)

मसलिया प्रखंड के मसलिया गांव में “माघ बोंगा” मनाया गया यह पूजा माघ टंडी (पूजा स्थान) में सम्पन्न हुआ । ग्रामीणों ने कहा कि यह पूजा माघ महीने में मनाया जाता है यह पूर्णिमा में मनाना अधिक शुभ होता है । माघ टंडी में जाहेर ऐरा, मोड़ेकु तुरुयकु,मारांग बुरु,गोसाई एरा आदि इष्ट देवताओ के नाम पर मुर्गा बलि दिया गया । संताल आदिवासियों में मान्यता है कि आज के दिन ही ग्रामीण लोग गांव को सामाजिक रूप से चलाने वाले मंझी,जोग मंझी,नायकी,प्राणिक,गुडित के घर का दाप(छावनी) करने के लिय सवड़ी सागाड़(बैल गाड़ी में सवड़ी घास लाने की प्रथा है,जो आजकल हाथ में घास लाते है) करते है। आज के ही दिन जोग मंझी,नायकी,प्राणिक,गुडित का साल भर का कार्यकाल खत्म होता है और पांच दिन बाद सभी ग्रामीण लोग मिलकर जोग मंझी,नायकी,प्राणिक,गुडित आदि का सर्वसम्मति से सेलेक्सन करते है । जो अगले माघ महीने तक(एक वर्ष) कार्य करते है आदिवासियों में भी यह भी मान्यता है कि मुनिस,गुतीकर्मी,चरवाहा ये सभी घर के काम में मदद करने वाले आज के ही दिन किसी के घर काम शुरू (JOIN) करते है और जो पुराना वाले है,काम छोड़ना चाहते है तो छोड़ते है.पूजा के बाद सभी प्रसाद स्वरूप खिचड़ी का भोग किये. उक्त अवसर पर नायकी बाबा चिलीम किस्कू, मांझी बाबा सुरेंद्र किस्कू, गुड़ित लुखिंद मुर्मू, कुड़ाम नायकी सुबोधन सोरेन के साथ साथ ग्रामीणों में राकेश सोरेन, पान धारी सोरेन, गोमोस्तो चौड़े रामदास किस्कू, रखिशल हेंब्रम, चांडाल किस्कू, डुडम चौड़े,परमेशल सोरेन, रामू किस्कू, पाने सोरेन, अनिल हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे।

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