आदिवासी सामाजिक संगठनो की मांग, सरकारी कार्यालय/भवनों के नाम ओलचिकी से भी लिखे जाएं।

 

दुमका(स.प.) : संताल आदिवासियों के भाषा, संस्कृति,लिपि को बचाये रखने के लिय संताल परगना प्रमंडल के विभिन्य आदिवासी सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधियो ने उपायुक्त कार्यालय में उपायुक्त के माध्याम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक बसंत सोरेन से मांग किया है कि संताल बाहुल्य क्षेत्रो में जहाँ सरकारी कार्यालयों / भवनों के नामपट्ट में संताली भाषा के ओल- चिकी लिपि में भी कार्यालय / भवन का नाम अंकित नही है,वहां जल्द संताली भाषा के ओल- चिकी लिपि में भी कार्यालय / भवन का नाम अंकित किया जाय. आगे संगठनो ने कहा कि झारखण्ड राज्य आदिवासी बाहुल्य राज्य है। इस राज्य का गठन ही आदिवासी के सभ्यता,संस्कृति और उसके विकास के लिय किया गया है। झारखण्ड राज्य के आदिवासियों में संताल आदिवासियों का जनसंख्या सबसे अधिक है। संगठनो ने आगे कहा कि झारखण्ड सरकार के कार्मिक,प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के पत्रांक 15/विविध-01-02/2019 का.-1359 , दिनांक 13-02-2019 के अनुसार संताल बाहुल्य क्षेत्रो में सरकारी कार्यालयों/भवनों के नामपट्ट में संताली भाषा के ओलचिकी लिपि में भी कार्यालय/भवन का नाम अंकित करने का दिशा निर्देश जारी है। दुमका जिला के साथ कई जिलों के कई स्कूलों,अंचल-प्रखंड कार्यालयों,सुचना भवनो और जिला के कई कार्यालयों के भवनों का नामपट्ट संताली भाषा के ओल-चिकी लिपि में भी अंकित है,लेकिन अभी भी संताल बाहुल्य क्षेत्रो के दुमका जिला के साथ कई जिलो के कई सरकारी कार्यालयों / भवनों में संताली भाषा के ओल- चिकी लिपि में भी कार्यालय / भवन का नाम अंकित नही है ।

संताल आदिवासियों के भाषा,लिपि और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिय संताल परगना प्रमंडल के सभी आदिवासी सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री से मांग करते है कि दुमका जिला के साथ राज्य के सभी संताल बाहुल्य क्षेत्रो में जहाँ सरकारी कार्यालयों / भवनों के नामपट्ट में संताली भाषा के ओल- चिकी लिपि में भी कार्यालय / भवन का नाम अंकित नही है,संताली भाषा के ओल- चिकी-लिपि में भी जल्द अंकित किया जाय.संगठनो ने इसके साथ साथ दुमका के विधायक सह पूर्व मंत्री बसन्त सोरेन औरमौके में परेश मुर्मू, लालटू मरांडी, रितेश मुर्मू, संजय मुर्मू, सुनील टुडू, सुनील मरांडी, पालटन मरांडी, मोतीलाल मुर्मू, बालदेव सोरेन, संजय किस्कू, दास सोरेन, अरूण मुर्मू, सरोज बेसरा, सोनेलाल मुर्मू, बुद्धिनाथ सोरेन, संजीव टुडू, रामप्रसाद हांस्दा, सुशील मरांडी, रामकिंकर टुडू, प्रदीप मुर्मू, मनोज मुर्मू, रायसेन हेम्बरम, सुमीत टुडू आदि उपस्थित थे.

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